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टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से 415 बांध प्रभावित परिवारों पर ‘आफत’, खतरे में जिंदगी

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में अभी भी कुछ जगहों पर बारिश हो रही है, जिससे लोगों की मुश्किलें कम होना का नाम नहीं ले रही है।

उत्तरकाशी में हो रही बारिश से टिहरी झील का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ा है। जिससे बांध प्रभावित इलाकों में रहे रहे परिवारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 415 ऐसे बांध प्रभावित परिवार हैं जिन्हें भूस्खलन होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

टिहरी बांध की झील को ज्यादा से ज्यादा आरएल 830 मीटर तक भरा जा सकता है, लेकिन सरकार ने टीएचडीसी को झील को आरएल 828 मीटर तक ही भरने की फिलहाल इजाजत दी है। मंगलवार को झील का जलस्तर आरएल 825.30 मीटर पहुंच गया। भागीरथी से 297.47, भिलंगना से 91.83 और सहायक गाड-गदेरों से 116 क्यूमेक्स पानी झील में आ रहा है। ऐसे में झील से 253 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं डैम से करीब 11 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हो रहा है।

झील के बढ़ते जलस्तर से भूस्खलन की वजह से नंदगांव, उठड़, पिपोला, रौलाकोट, गडोली, चांठी, तिवाडगांव समेत 17 बांध प्रभावितों की परेशानी बढ़ गई है। साल 2010 के बाद से सरकार ने विशेषज्ञ कमेटी बनाकर प्रभावित गांवों का भू-गर्भीय सर्वे करवाया था। सर्वे में 415 परिवारों को पुनर्वास के लिए चिह्नित तो किया गया लेकिन, जमीन न मिलने की वजह से प्रभावित पुनर्वास नहीं कर पाए। ऐसे में हर पल ये परिवार खतरे के साए में जीने को मजबूर है।

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