उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की सेवराई तहसील में सरकारी दफ्तरों की पड़ताल की गई। जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।फोटो: न्यूज़ नुक्कड़

उत्तर प्रदेश शासन भले ही अधिकारियों और कर्मचारियों को समय पर कार्यालय पहुंचने के सख्त निर्देश दे चुका हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। शासन के आदेशों का असर सरकारी दफ्तरों में दिखाई नहीं दे रहा है। अधिकारी और कर्मचारी अपने ओहदे के मद में इतने चूर हैं कि उन्हें शासन की हिदायतों की कोई परवाह नहीं।

सेवराई तहसील में दफ्तरों पर लटके ताले

मंगलवार को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की सेवराई तहसील में सरकारी दफ्तरों की पड़ताल की गई। जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सुबह 10 बजकर 6 मिनट तक तहसीलदार कार्यालय में ताला लटका था। दफ्तर में कोई भी अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था।

तहसीलदार कोर्ट, नायब तहसीलदार कार्यालय, न्यायालय ऑफिस और आर.के. कार्यालय सभी के दरवाजों पर ताले जड़े मिले। तहसीलदार सुनील कुमार सिंह का भी कोई अता-पता नहीं था। फरियादी दफ्तर के बाहर “साहब के आने” का इंतजार करते रहे।

एसडीएम और तहसील स्टाफ भी गायब

जांच टीम जब सुबह 10:10 बजे एसडीएम कार्यालय पहुंची, तो वहां भी वही हाल मिला। एसडीएम संजय यादव की कुर्सी खाली थी। तय समय निकलने के बाद भी अफसर मौजूद नहीं थे। दफ्तर में केवल कर्मचारी अशोक कोर्ट में दिखाई दिए।

मुख्य गेट के पास बने खतौनी काउंटर की खिड़की भी बंद मिली और कमरे में ताला लटक रहा था। इससे साफ हुआ कि समयपालन को लेकर शासन के निर्देश केवल कागजों तक सीमित हैं।

भदौरा ब्लॉक मुख्यालय में और भी बदतर हालात

भदौरा ब्लॉक मुख्यालय में स्थिति और भी निराशाजनक रही। सुबह 10:20 बजे तक सीडीपीओ रंजू द्विवेदी और अन्य नव नियुक्त सुपरवाइजर दफ्तर नहीं पहुंचे थे। केवल बड़े बाबू संजय कुमार सिंह और पत्रवाहक जितेंद्र पाठक मौजूद थे।

बाल विकास पुष्टाहार विभाग में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पुष्टाहार का वितरण चल रहा था, लेकिन सीडीपीओ की कुर्सी खाली थी। बताया गया कि नवागत अधिकारी ने अब तक कार्यभार ग्रहण ही नहीं किया है।

इसी तरह एडीओ पंचायत और एडीओ समाज कल्याण की कुर्सियां भी खाली पड़ी मिलीं। ब्लॉक मिशन प्रबंधक कार्यालय में भी ताला लटका था और कृषि विभाग के कमरों में भी कोई मौजूद नहीं था।

नगर पंचायत दिलदारनगर में भी अधिकारी नदारद

पड़ताल के दौरान नगर पंचायत दिलदारनगर कार्यालय में अधिशासी अधिकारी संतोष कुमार अनुपस्थित मिले। जब कर्मचारियों से पूछा गया, तो बताया गया कि अधिकारी मीटिंग में गए हैं।

जानकारी के अनुसार, अधिशासी अधिकारी के नगर पंचायत कार्यालय में बैठने के लिए सप्ताह में केवल दो दिन- मंगलवार और शुक्रवार ही तय हैं।

नगर पंचायत अध्यक्ष अविनाश जयसवाल ने बताया कि अधिशासी अधिकारी मीटिंग का हवाला देकर महीनों तक दफ्तर से गायब रहते हैं, जिससे नगर पंचायत के कार्य और आम जनता दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

शासन के आदेश के बेअसर, जनता इंतजार में

पड़ताल से यह स्पष्ट हुआ कि शासन की सख्ती केवल आदेशों तक ही सीमित रह गई है। अधिकारी और कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं पहुंचते, जिससे जनता के कामकाज और फरियादों का निस्तारण प्रभावित हो रहा है।

जनता न्याय और समाधान के लिए दफ्तरों के बाहर घंटों इंतजार करती है, लेकिन जिम्मेदार अफसर अपनी कुर्सियों से नदारद रहते हैं। सवाल यह उठता है कि जब अधिकारी ही अपने दायित्वों को नहीं निभा रहे, तो शासन की “समयपालन नीति” कैसे सफल होगी?

(न्यूज़ नुक्कड़ के लिए गाजीपुर से इजहार खान की रिपोर्ट)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *