उत्तराखंड: हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट, पलायन का खतरा भी मंडराया, सरकार से लगाई गुहार
उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में पलायन की संख्या बढ़ी है। मौजूदा सरकार इस समस्या को सुलझाने में जुटी हुई है।
पहाड़ों से पलायन की समस्या को खत्म करना इतना आसान नहीं है। पहाड़ों में लोगों की जो सबसे बड़ी परेशानी है वो रोजगार है। सरकार के सामने रोजगार पैदा करना और छिनते रोजगार पर लगाम कसना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसी ही एक समस्या बागेश्वर में मुंह बाए खड़ी है। काफलीगैर में 1972 से स्थापित अल्मोड़ा मैग्नेसाइट कंपनी के स्टोन क्रशर यूनिट को खनन विभाग द्वारा बंद किए जाने से करीब एक हजार परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
आरोप है कि 6 महीने पहले खनन विभाग ने सभी मानक पूरे होने के बावजूद ई-रवन्ना को लेकर उपखनिज को बेचे जाने पर रोक लगा दी। इसके बाद से कंपनी में काम करने वाले करीब एक हजार कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ गए। वहीं, अप्रत्यक्ष रूप से भी 5 हजार की जनता प्रभावित हो रही है। पिछले कई दशकों से इस कंपनी की वजह से क्षेत्र के 16 गांवों से बिल्कुल भी पलायन नहीं हुआ था। अब कंपनी पर आर्थिक संकट छाने से पूरे क्षेत्र पर पलायन का खतरा भी मंडराने लगा है।
45 साल पहले कंपनी की हुई थी स्थापना:
45 साल पहले अल्मोड़ा जिले के काफलीगैर (अब बागेश्वर जिला) में मैग्नेसाइट कंपनी की स्थापना की गई थी। कंपनी में स्थानीय लोगों को रोजगार दिया गया। वर्तमान में उन कर्मचारियों की तीसरी पीढ़ी, यहां काम करती है। दो दशक पहले कंपनी पर आर्थिक संकट आने के बाद 2004 में कंपनी से निकलने वाले मलबा का सदुपयोग करने की इजाजत दी गई। 4 फरवरी, 2003 को कंपनी को अनुमति मिलने के बाद यहां खनन कार्य शुरू हुआ। इसका लाभ क्षेत्र की जनता को होने लगा। निर्माण कार्यों में धड़ल्ले से यहां, के उपखनिज का उपयोग होने लगा, लेकिन 6 महीने पहले खनन विभाग ने खनन के ई-रवन्ना पर रोक लगा दी। जबकि कंपनी का कहना है कि उसके पास सभी स्वीकृतियां थीं। कंपनी का कहना है कि सरकार से कई बार गुहार लगाने के बावजूद संकट दूर नहीं हुआ। वहीं, इस संकट के चलते इलाके के लोगों में भी गुस्सा और नाराजगी है। ग्रामीण अब खनन पर लगी रोक को हटाने की मांग कर रहे हैं।
वहीं, इस मामले में कंपनी के प्रबंध निदेशक का आरोप है कि खनन विभाग बिना वजह की आपत्तियां लगाकर क्षेत्र की जनता के साथ ज्यादती कर रहा है। सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए। अगर ऐसा ही चला तो एक दिन कंपनी पर ताले लटक जाएंगे। इसका असर क्षेत्र की हजारों की जनता पर पड़ेगा।
कुछ दिन पहले जिले के दौरे पर आए प्रदेश के मुख्यमंत्री से जब फैक्ट्री की समस्या पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि फैक्ट्री के स्टोन क्रेसर बंद होने का मामला मेरे संज्ञान में है। उन्होंने कहा था कि जल्द ही इस समस्या का समाधान कर बंद पड़ी यूनिट को शुरू किया जाएगा।
(बागेश्वर से नरेंद्र सिंह की रिपोर्ट)