उत्तराखंड लॉकडाउन में बूंद-बूंद को तरसी अल्मोड़ा की 2 लाख की आबादी, इंटेक वेल की SIT जांच की मांग
उत्तराखंड की सास्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की करीब 2 लाख की आबादी इन दिनों लॉकडाउन में बूंद-बूंद को तरस रही है।
अल्मोड़ा में लंबे समय से पानी की समस्या को देखते हुए कोशी नदी में एक बैराज बनाया गया था जो 33 करोड़ की लागत से बना था। इसके बाद 10 करोड़ से इंटेक वेल बनाया गया। बावजूद इसके अल्मोड़ा नगर के लोगों को पानी नही मिल पा रहा है। अब इस मामले में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। अभी बरसात शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन अभी से ही नदी में गाज आ गई है, जिसकी वजह से पिछले तीन दिनों से अल्मोड़ा में पानी की सप्लाई बंद है।
वहीं, जलसंस्थान के अधिकारी इस परेशानी को लेकर गम्भीरता नहीं दिखाने का आरोप लग रहा है। नए बनाये गए इंटेक वेल एक बार फिर पूर्णिमान किया गया इसके बावजूद विभाग इसकी गम्भीरता को नही समझ पा रहा है। इंटेक वेल को लेकर बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष गोविंद पिलख्वाल ने सरकार से इसकी एसआईटी जांच की मांग तक कर दी है बावजूद इसके समस्या को गम्भीरता से नहीं लिया जा रहा है, जबकि एसआईटी जांच के आदेश प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कर दी गई थी। इसके बाद भी आज तक इसमे कोई कार्रवाही नही हो पाई है।
जिसको लेकर कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज तिवारी जिलाध्यक्ष पीताम्बर पांडे नगर अध्यक्ष पूरन बिष्ट ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा कोसी बैराज का निर्माण करवाया, लेकिन बीजेपी सरकार द्वारा इसके प्रति संवेदनशील नहीं दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि अभी जब हल्की बरसात में तीन दिन तक शहर के लोगों को पानी नही मिल पा रहा है तो बरसात में क्या होगा? उन्होंने सरकार से इस मामले की जांच की मांग की है।
वहीं इस मुद्दे पर बीजेपी नेता और डिप्टी स्पीकर रघुनाथ चौहान ने कहा की शहर में पानी जल्दी मिल जाएगा। एसआईटी जांच को उन्होंने कहा कि अभी इसके जांच के बारे में उनको पता नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी जांच के लिए सचिव से बात की जाएगी, इसको वो गम्भीरता से लेंगे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उनको बख्शा नहीं जाएगा।
करोड़ों की लागत से बने इस बैराज को इस लिए बनाया गया था कि अल्मोड़ा नगर को पानी मिल सके, लेकिन पहली बरसात में गाज आने पर जब तीन दिन पानी नहीं मिल पा रहा है तो बरसात में क्या हो आप इसका अंदाजा खुद ही लगा सकेत हैं।
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)