उत्तराखंड के चमोली में आई प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की सख्या 35 हो गई है। जबकि अब भी 174 लापता लोगों का कुछ पता नहीं चल पाया है।
रेस्क्यू ऑपरेशन चौथे दिन भी जारी रहा। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ लगातार इस कोशिश में हैं कि कहीं कोई जिंदगी मलबे में दबी बै तो उसे बचाया जाए। इस बीच तबाही क्यों हई। ग्लेशियर कैसे फटा इसकी जांच भी जा रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि भूस्खलन के साथ ही लाखों टन बर्फ के नीचे खिसकने का दुष्परिणाम है ये तबाही। वैज्ञानिकों की प्रतिष्ठित संस्था अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस जगह प्राकृतिक आपदा आई, वहां 5600 मीटर की ऊंचाई से पहाड़ की हजारों टन वजनी बड़ी-बड़ी चट्टानें और लाखों टन बर्फ सीधे 3800 मीटर तक नीचे जा गिरीं।
कई हजार टन वजनी चट्टानों और लाखों टन बर्फ के नीचे तेजी से गिरने की वजह भयंकर तबाही आई है। कुछ चौकाने वाली तस्वीं भी साझा की गई हैं। जिसके जरिये ये बताने की कोशिश की गई है कि आखिर ये तबाही कैसे आई। अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन के वैज्ञानिकों का मानना है कि हजारों टन वजनी चट्टानों और लाखों टन बर्फ के सीधे दो किलोमीटर तक लगातार नीचे गिरने की वजह से इलाके में तापमान तेजी से बहुत अधिक बढ़ गया और इस तापमान के चलते बर्फ तेजी से पिघल गई।
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