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उत्तराखंड की स्थायी राजधानी गैरसैंण को बनाने की मांग क्यों हो रही है?

गैरसैंण को उत्तराखंड की स्थायी राजधानी बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। अल्मोड़ा में पूर्व विधानसभा अध्य्क्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने गैरसैंण स्थायी राजधानी बनाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के लिए कदम उठाए। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान गैरसैंण के विकास के लिए 55 करोड़ रुपये अलॉट किए गए, लेकिन बीजेपी की सरकार में इसे लेकर कोई कदम आगे नहीं बढ़ाया गया। गोविंद सिंह कुंजवाल ने आगे कहा कि उत्तराखंड को राज्य बनाने के लिए पहाड़ी लोगों ने ऐतिहासिक आंदोलन चलाया, लेकिन राज्य की ये बीजेपी सरकार प्रदेश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने के लिए गंभीर नहीं है।

गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग क्यों?

गैरसैंण उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक शहर है। यह समूचे उत्तराखंड राज्य के मध्य में होने की वजह से प्रदेश की पूर्व-निर्धारित और प्रस्तावित स्थायी राजधानी के नाम से बहुविदित है। यही वजह है कि इसे लंबे वक्त से स्थायी राजधानी बनाने की मांग हो रही है।

गैरसैंण का इतिहास

गैरसैंण गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है।  जिसे प्राचीन कथाओं और ग्रंथों में केदार क्षेत्र या केदारखंड कहा गया है। सातवीं शताब्दी के आस-पास यहां आये चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इस क्षेत्र में ब्रह्मपुर नामक राज्य होने का वर्णन किया है। यह क्षेत्र अर्वाचीन काल से ही भारतवर्ष की हिमालयी ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए है। लोकप्रचलित कथाओं के अनुसार प्रस्तुत इलाके का पहला शासक यक्षराज कुबेर था।

(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)

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