DehradunNewsउत्तराखंड

खतरे में देवभूमि का ‘भविष्य’, अब न जागे तो हो जाएगी बहुत देर!

कहते हैं कि किसी भी राज्य या देश का भविष्य उसके छात्र और शिक्षक होते हैं। लेकिन जब दोनों पर ही खतरा मंडराने लगे तो आप क्या कहेंगे?

उत्तराखंड में शिक्षकों और छात्रों दोनों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। ‘अमर उजाला’ वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट की मानें तो उत्तराखंड में 2800 से ज्यादा ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जिनमें छात्रों की संख्या घटकर 10 तक पहुंच गई है। अगर इन स्कूल में 10 से कम छात्रों की संख्या हुई तो 2800 स्कूलों पर ताला लटक सकता है। मतलब ये कि ये स्कूल बंद हो सकते हैं। जाहिर अगर स्कूल बंद होंगे तो इन स्कूलों में पढ़ाने वालों शिक्षकों के भविष्य पर भी तलवार लटक जाएगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड गठन के 19 सालों में राज्य के स्कूलों में छात्रों की संख्या घटने की वजह से अब तक 800 से ज्यादा स्कूल बंद किए जा चुके हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2800 ज्यादा स्कूलों में कभी भी ताला लटकने की आशंका है। ऐसे में शिक्षकों ने अब कमान संभाल ली है। शिक्षा विभाग की ओर से राज्य में इन दिनों प्रवेशोत्सव मनाया जा रहा है। मस्टरजी घर-घर जाकर छात्रों के अभिभावकों को ये बता रहें कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का क्या फयदा है। अभियान के तहत अभिभावकों को बताया जा रहा है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। मिड-डे मील के साथ फ्री में ड्रेस दी जा रही है। किताबों के साथ कई दूसरी सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इस अभियान का सिर्फ एक ही मकसद और ये कि छात्रों को स्कूलों तक लाया जाए। आलम ये है कि ये अभियान चलाए जाने बावजूद इसका असर दिखाई नहीं दे रहा है। सरकारी स्कूलों में छात्र बढ़ने के बजाए घटते ही जा रहे हैं।

अब सवाल ये है कि आखिर ये नौबत आई कैसे? आखिर स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ने के बजाय घटते क्यों चले गए? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? जब आप इन पहलुओं पर गौर करेंगे तो कई खामियां आपके सामने आएंगी। सरकारी स्कलों को लेकर उदासीनता इनमें से मुख्य वजह है। जब शिक्षा विभाग से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में पब्लिक स्कूलों के प्रति बढ़ता आकर्षण और पलायन, स्कूलों में घटती छात्र संख्या की मुख्य वजह है। इसके साथ ही एक और बात सामने आई, और वो ये है कि स्कूलों में सुविधाओं का अभाव है। कई स्कूलों के भवन जर्जर हालत में हैं। ऐसे में आप किसे जिम्मेदार ठहराएंगे?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *