उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों में काम करने वाले उन शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है, जिन्हें सरकार द्वारा तय मानकों के हिसाब से सैलरी नहीं मिल रही है।
सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत में ये आरोप लगाया गया है कि राज्य में ज्यादार प्राइवेट स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है। ऐसे में शिकायत में ये मांग की गई है कि प्रइवेट स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों के बैंक खातों में न्यूनतम सैलरी तय समम पर जमा कराई जाए। शिकायत के बाद शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने शिक्षा अधिकारियों को इस मामले के निस्तारण के आदेश दिए हैं।
प्रदेश में 4 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े प्राइवेट स्कूल हैं। इन स्कूलों में 25 हजार से ज्यादा शिक्षक और कर्मचारी काम करते हैं। ज्यादातर स्कूलों में न्यूनतम वेतन के मानक के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। मतलब ये कि प्राइवेट स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों का ये आरोप है कि उन्हें तय न्यूनतम सैलरी नहीं मिलती है। लेकिन अब सरकार के इस कदम से उन्हें न्यूनतम सैलरी मिल सकती है। जो प्रइवेट स्कूल अपने शिक्षकों और कर्मचारियों को न्यूनतम सैलरी नहीं देंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
राज्य में अगर कोई प्राइवेट स्कूल चलाने के लिए एनओसी लेता है तो उसे एनओसी इसी शर्त पर मिलती है कि वो अपने कर्मचारियों को सरकारी स्कूलों के कर्मचारियों के समान वेतन देगा। सरकार द्वारा यह व्यवस्था राज्य में 2013 से लागू है। हैरानी की बात ये है कि प्राइवेट स्कूल एनओसी तो ले लेते हैं, लेकिन नियमों का पालन नहीं करते।
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श्रम विभाग के मानक के मुताबिक, एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर में अकुशल श्रमिक को 8331 रुपये, अर्द्धकुशल को 8924, कुशल को 9518, लिपिक वर्गीय कर्मचारी में ए श्रेणी को 10,520 और बी श्रेणी को 9772 रुपये मासिक वेतन देने का नियम है। बाकी पूरे राज्य में अकुशल श्रमिक को 8213, अर्द्धकुशल को 8788, कुशल को 9370 रुपये, लिपिक के कर्मचारी में ए श्रेणी को 10,328 और बी श्रेणी को 9611 रुपये मासिक न्यूनतम वेतन देना अनिवार्य है। हर 6 महीने में महंगाई भत्ता अलग से तय करने का नियम है।
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उपनल के मुताबिक, अकुशल को 12,851, अर्द्धकुशल को 14,674, कुशल को 16,213, उच्च कुशल को 17954 और अफसर को 35,892 रुपये मासिक सैलरी देने का प्रावधान है। इसके साथ ही तीसरे महीने 2800 रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि भी देने का प्रावधान है किया गया है। बावजूद इसके प्राइवेट स्कूल इन निमयमों का पालन नहीं करते हैं और अपनी मनमानी करते हैं। ऐसे में अगर आप भी एक प्रिइवेट शिक्षक हैं और आपके स्कूल में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है तो आप भी सीएम हेल्पलाइन नंबर शिकायत कर सकते हैं।
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