उत्तराखंड के इसी कुंड में द्रोपदी ने बुझाई थी प्यास, अब इस कुंड की हालत ‘नर्क’ से भी बदतर है!
उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित भीमगोडा कुंड, वो कुडं जहां द्रोपदी ने अपनी प्यास बुझाई थी। पांडवों के साथ स्वर्गारोहण पर जाते समय द्रोपदी को इसी जगह पर प्यास लगी थी।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी जगह पर पहुंचने के बाद द्रोपदी को इतनी भीषण प्यास लगी कि वो सहन नहीं कर पाई। कहा जाता है कि परेशान द्रोपदी को देखकर भीम ने अपना पैर धरती पर मारा था। भीम के पैर के प्रहार से यहां पर गंगा नदी का प्रवाह ऊपर आया और जलस्रोत फूट पड़ा। द्रोपदी के साथ पांडवों ने इसी कुंड में अपनी प्यास बुझाई और फिर स्वर्गारोहण के लिए चल पड़े।
हजारों साल पुराने इस भीमगोडा कुंड का खास धार्मिक महत्व है। दुनिया भर के श्रृद्धालुओं में ये कुंड भीमगोडा कुंड मंदिर के नाम से मशहूर है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस कुंड में स्नान करते हैं, वो इस लोक में सुख भोगकर मृत्यु के बाद स्वर्ग को प्राप्त करते हैं।
देश और दुनिया भर के श्रद्धालु यहां अपनी प्यास बुझाने के साथ स्नान और पूजा-अर्चना करने के लिए आया करते थे। लेकिन अब इस कुंड की हालत बेहद खस्ता है। यहां कुंड में प्यास बुझाना या नहाना तो दूर, अब लोग इसके करीब जाना भी पसंद नहीं करते। कुंड से बदबू आती है। कुडं में कूड़ा पड़ा हुआ है। ऐसे में अब इस कुंड ने बदबूदार गटर का रूप ले लिया है। यही वजह है कि श्रृद्धालुओं ने अब यहां आना बंद कर दिया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि भीमागोडा कुंड का सालों पहले महत्व ज्यादा था। लोग कहते हैं इसी रास्ते से होकर श्रद्धालु बदरीनाथ जाया करते थे, लेकिन हाईवे बनने के बाद इस रास्ते का प्रयोग श्रद्धालुओं ने बंद कर दिया।
भीमागोडा कुंड की हालत को देखते हुए ये जरूरत है कि स्थानीय लोग इसके खिलाफ आवाज उठाएं। साथ ही प्रशासन को जल्द से जल्द जागने की जरूरत है ताकि हजारों साल पुराने हिंदू धर्म के इस धरोहर को बचाया जा सके।