उत्तराखंड: हजारों की संख्या में अपने गांव लौट चुके श्रमिकों की इस जिले को क्यों आई याद?
उत्तराखंड में जारी लॉकडाउन के बीच श्रमिकों के पलायन की कमी दिखने लगी है। निजी और सरकारी निर्माण कार्यों पर असर पड़ने लगा है।
कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन को दो महीने बीत चुके हैं। ऐसे में प्रवासी श्रमिकों का अपने-अपने प्रदेशों को जाना लगातार बना हुआ है। हजारों की संख्या में श्रमिक अपने घर लौट चुके हैं। जहां एक तरफ सरकार जनता की समस्याओं को देखते हुए लॉकडाउन में ढील दे रही है, वहीं दूसरी तरफ श्रमिकों की कमी के कारण निर्माण कार्यों सहित अनेक रोजमर्रा के काम जो श्रमिकों के बिना नहीं हो सकते हैं उस पर असर पड़ने लगा है। छोटे मझले व्यसायियों में इसका काफी असर दिखने लगा है। बात करें अलमोड़ा जिले की तो यहां पर नेपाल और बिहार के श्रमिक हजारों की संख्या में रहते हैं। यहां के निर्माण के साथ छोटे मोटे कार्य इनपर निर्भर है। ऐसे में अब ये श्रमिक लगभग अपने प्रदेशों को लौट चुके है। यही वजह है कि सरकारी और गैर सरकारी निर्माण कार्य श्रमिकों की कमी के कारण लटकने लगे हैं।
अलमोड़ा में हजारों नेपाली श्रमिकों पर बाजर की रोजमर्रा की सामग्री और मकान निर्माण की सामग्री सहित अनेक कार्यों का ढुलान निर्भर करता था। उनके लौट जाने से अब भारी समस्या पैदा होने लगी है। वहीं बिहार के श्रमिकों की बात करें तो यहां के सरकारी और गैरसरकारी निर्माण बिहार के श्रमिक करते थे। लेकिन अब हजारो की संख्या में श्रमिक अपने गांव लौट चुके हैं, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों की समस्या बढ़ गई है।
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)