उत्तराखंडः चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर तेज हुआ आंदोलन, तीर्थ पुरोहितों ने बद्रीनाथ किया कूच
दो साल से बंद पड़ी चार धाम यात्रा और देवस्थानम बोर्ड गठन का मामला सरकार के गले की फांस बन चुका है। चारधाम यात्रा को शुरू करने की मांग को लेकर आज बद्रीश संघर्ष समिति के आह्वान पर तीर्थ पुरोहितों तथा हक हकूक धारियों व बड़ी संख्या में मौजूद स्थानीय लोगों ने बद्रीनाथ धाम कूच किया।
जहां कूच के दौरान उनकी पुलिस के साथ तीखी झड़पें होने की खबरें हैं। तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी लंबे समय से सरकार से चारधाम यात्रा शुरू करने और देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे हैं। इस बाबत चमोली में धरने—प्रदर्शन व महापंचायतें भी हो चुकी हैं। महापंचायत अध्यक्ष कृष्णकांत बौठिंयाल का कहना है कि बीते 2 सालों से कोरोना के कारण चार धाम यात्रा बंद है। उनका कहना है कि यात्रा बंद होने के कारण पुरोहितों तथा व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। क्योंकि उनकी रोजी-रोटी का सबसे प्रमुख साधन चारधाम यात्रा ही है।
उनका कहना है कि धर्म के नाम पर वोट लेकर सत्ता में आने वाली भाजपा अब अपना धर्म कर्म सब कुछ भूल चुकी है। लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति बनी हुई है लेकिन वह चारधाम यात्रा को शुरू नहीं कर रही है। उनका कहना है कि पहले देवस्थानम बोर्ड का गठन कर सरकार ने पंडा और पुजारियों के पेट पर लात मारी और अब चारधाम यात्रा को बंद रखकर उघमी व व्यापारियों को मिटाने पर आमादा है। इसके विरोध में उन्होंने अपना सर भी मुंडवा दिया है।
लोगों को बद्रीनाथ पहुंचने से रोकने के लिए पुलिस ने जगह-जगह बैरिकेडिंग किए हुए थे तथा भारी फोर्स की तैनाती की थी। लोगों ने आगे जाने की जिद में जब बेरेकेटिंग तोड़ने का प्रयास किया तो स्थानीय लोगों व तीर्थ पुरोहितों के साथ पुलिस की कई जगह धक्का-मुक्की और झड़पें भी हुई है। लेकिन वह बद्रीनाथ धाम तक पहुंचने में सफल रहे। तीर्थ पुरोहितों को हालांकि पुलिस ने अलकनंदा के पुल से आगे नहीं जाने दिया और न मंदिर में पूजा अर्चना करने दी। तीर्थ पुरोहितों ने बद्रीनाथ धाम जाने व बद्री भगवान की पूजा अर्चना करने की घोषणा की थी। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब सबकुछ खोला जा चुका है तो चार धाम यात्रा पर ताला क्यों?