उधम सिंह नगर: अंतरराज्यीय ठग गिरोह का भंडाफोड़, OLX पर लोगों से ऐसे करते थे ठगी
उत्तराखंड की उधम सिंह नगर पुलिस ने बहुत बड़े ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है।
कुमाऊं की साइबर थाना टीम ने अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह के सरगना समेत दो ठगों को राजस्थान से गिरफ्तार किया है। आरोपी खुद को भारतीय सेना में तैनात अधिकारी बताकर प्रभाव डालते थे और ओएलएक्स पर सामान बेचने के नाम पर धोखाधड़ी करते थे। इनकी निशानदेही पर पुलिस ने एक मोबाइल और कई लोगों के आधार कार्ड बरामद हुए हैं। गिरफ्तारी के बाद साइबर टीम ने दोनों ठगों को देहरादून में कोर्ट में पेश करने के बाद रिमांड पर लेकर रुद्रपुर लौट गई है। वहीं, टीम को एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने ढाई हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की है।
ठगों तक कैस पहुंची पुलिस?
दरअसल पांच महीने पहले ऋषिकेश के रहने वाले सोहन सिंह ने साइबर थाना देहरादून में शिकायत दर्ज कराई थी कि OLX पर एक कार का विज्ञापन देखकर उन्होंने उसे खरीदने के लिए वेबसाइट पर दिए गए मोबाइल नंबर पर फोन किया। नंबर पर अनजान शख्स ने खुद को भारतीय सेना में बताते हुए सोहन सिंह को भारतीय सेना का पहचान पत्र और दूसरे दस्तावेज दिखाकर झांसे लिया था। कार बेचने के नाम पर उसने बैंक खाते में एक लाख 43 हजार 147 रुपये जमा कराए और फिर वो मोबाइल नंबर ही बंद कर दिया। शिकायत मिलने के बाद पुलिस की टीम ने पहले तो OLX पर दिए गए नंबर और बैंक खाते की जानकारी जुटाई। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि ठगी राजस्थान से की गई है। जिसके बाद पुलिस की एक टीम आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए राजस्थान रवाना हुई। टीम ने राजस्थान के भरतपुर से दो ठगों को गिरफ्तार किया।
कैसे करते थे ठगी?
जब OLX की वेबसाइट पर सेना का कोई जवान अपनी गाड़ी बेचने के लिए विज्ञापन देता, तो साइबर ठग पहले उनके ग्राहक बनकर व्हाट्सएप चैट से उनकी असली आईडी, कैंटीन स्मार्ट कार्ड, गाड़ी की फोटो, रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंश वगैरह जरूरी सभी कागजात मांगकर जमा कर लेते थे। इसके बाद OLX पर अपनी फर्जी ID के जरिए विज्ञापन डालकर उसमें अपना मोबाइल नंबर लिख देते थे। इसके बाद जरूरतमंद लोग जब OLX पर दिए गए विज्ञापन में दर्ज मोबाइल नंबर से उनके संपर्क करते तो ग्राहक को भरोसे में लेने के लिए ठग आर्मी के जवानों के सभी दस्तावेज भेज देते थे और सस्ते दाम पर गाड़ी बेचने का लालच देकर लोगों को अपने निशाने पर लेते थे। रुपये मंगाने के लिए अपने परिचितो के बैंक खातों का नंबर देते थे। बाद में रकम अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे।