चिंताजनक: उत्तराखंड में धीमी वैक्सीनेशन की रफ्तार, अब तक सिर्फ 7 लाख लोगों का हुआ टीकाकरण
कोरोना महामारी के इस संकटकाल देशभर में वैक्सीनेशन अभियान तेजी से चल रहा है। केंद्र सरकार ने इसके लिए दिसंबर अंत तक पूरी आबादी को टीका लगाने का लक्ष्य रखा है।
लेकिन जिस धीमी गति से वैक्सीनेशन का काम हो रहा है उसे देखते हुए लगता है इसमें कई साल का समय लग जाएगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक 3.5 फीसदी आबादी को ही वैक्सीन की दोनों डोज दी जा सकी है। जबकि 5.71 फीसदी लोगों को अभी सिर्फ एक डोज दी गई है। अगर बात उत्तराखंड की करें तो राज्य में अभी सिर्फ 7,051 83 लोगों को ही दोनों डोज दी जा सकी है। जबकि 26 लाख 62 हजार लोगों को सिर्फ पहली ही डोज लग पायी है।
उत्तराखंड राज्य की जहां तक आबादी की बात है तो वह एक करोड़ 10 लाख के आसपास होगी। सवाल यह है कि जब अब तक सिर्फ सात लाख के आसपास लोगों को ही टीका लगाया जा सका है तो फिर 1 करोड़ दस लाख लोगों को टीका लगाने में कितना समय लगेगा। देश में 16 जनवरी 2021 से वैक्सीनेशन शुरू किया गया था। मोटे तौर पर अगर यह मान भी लें कि बीते तो ढाई महीने में 7 लाख लोगों को ही टीका मिल सका है इस गति से अगर टीकाकरण अभियान चलता रहा तो एक करोड़ दस लाख लोगों को टीका लगाने में चारकृपांच साल से कम का समय नहीं लगेगा। और जब तक सभी को टीका नहीं लग जाता कोरोना से पूर्ण सुरक्षा संभव नहीं है।
वैक्सीनेशन की धीमी गति का मुख्य कारण टीके की उपलब्धता न होना ही है। भले ही उत्तराखंड राज्य सरकार ने कोरोना वैक्सीन खरीदने के लिए ग्लोबल टेंडर तक निकालकर इस बात की कोशिश की थी कि उसे विदेशों से टीका मिल सके और जल्द लोगों को टीका मिल पाए लेकिन यह संभव नहीं हो सका। टीके के बारे में तमाम तरह की भ्रांतियों के कारण भी इसमें देरी हो रही है।
भले ही केंद्र सरकार साल के अंत तक सभी नागरिकों के टीकाकरण का दावा कर रही सही लेकिन धरातल पर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन भी बड़ी फजीहत भरा साबित हो रहा है। सरकार ने जल्दबाजी में 18 प्लस के लिए टीकाकरण का काम शुरु जरूर कर दिया है लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण काम अटक-अटक कर ही चल रहा है।