सचिन को जिन्होंने क्रिकेटर से ‘भगवान’ बनाया अब वो नहीं रहे, रमाकांत आचरेकर का निधन
सचिन तेंदुलकर के गुरु, उनके कोच रमाकांत आचरेकर अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनका 87 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया है। आचरेकर का जन्म 1932 में हुआ था।
सचिन तेंदुलकर को एक शानदार क्रिकेटर बनाने में आचरेकर का सबसे बड़ा योगदान रहा है। सचिन तेंदुलकर के अलावा उन्होंने विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, समीर दिगे और बलविंदर सिंह संधू जैसे क्रिकेटरों को भी निखारा। 1990 में आचरेकर को क्रिकेट में उनकी सेवाओं के लिए द्रोणाचार्य अवॉर्ड से नवाजा किया गया था। 2010 में उन्हें खेलों में देश के सर्वोच्चा सम्मान पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था।
Sachin Tendulkar’s coach Ramakant Achrekar passes away in Mumbai. pic.twitter.com/tywk2J1NGC
— ANI (@ANI) January 2, 2019
रमाकांत आचरेकर सचिन तेंदुलकर के दिल के बेहद करीब थे। आचरेकर नहीं होते तो शायद आज सचिन तेंदुलकर एक क्रिकेटर के तौर पर ही जाने जाते, क्रिकेट के भगवान की उपाधि शायद उन्हें नहीं मिलती। वो रमाकांत आचरेकर ही थे, जिन्होंने सचिन की दुनिया बदल दी।
रमाकांत आचरेकर ने सचिन की दुनिया और उनकी सोच कैसे बदली खुद सचिन तेंदुलकर ने 2017 में किए गए अपने एक ट्वीट में इस बात की जानकारी दी थी। दुनिया सचिन को एक शांत और गंभीर क्रिकेटर के रूप में जानती है। स्कूल के दिनों में जब तेंदुलकर रमाकांत आचरेकर से क्रिकेट की कोचिंग लिया करते थे वो बेहद चंचल स्वभाव के थे।
तेंदुलकर ने 2017 में किए गए अपने एक ट्वीट में बताया, “मैं अपने स्कूल की जूनियर टीम से एक मैच खेल रहा था और हमारी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी। उसी दिन आचरेकर सर ने मेरे लिए एक प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था। उन्होंने मुझसे स्कूल के बाद वहां जाने के लिए कहा था। आचरेकर सर ने कहा कि उन्होंने उस टीम के कप्तान से बात की है, मुझे चौथे नंबर पर बैटिंग करनी है। मैं उस प्रैक्टिस मैच को खेलने नहीं गया और वानखेडे स्टेडियम चला गया। मैं वहां अपने स्कूल की सीनियर टीम को चीयर कर रहा था। खेल के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा। मैंने उन्हें नमस्ते किया। अचानक उन्होंने मुझसे पूछा, आज तुमने कितने रन बनाए? मैंने कहा, सर मैं सीनियर टीम को चीयर करने के लिए यहां आया हूं। ये बात सुनते ही आचरेकर सर ने सबके सामने मुझे डांट लगा दी।
तेंदलुकर ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, “आचरेकर सर ने मुझे जिस वक्त डांट लगाई उनके एक-एक शब्द अभी भी मुझे याद हैं। आचरेकर सर ने कहा कि दूसरों के लिए ताली बजाने की जरूरत नहीं है। तुम अपनी क्रिकेट पर ध्यान दो। ऐसा कुछ हासिल करो कि दूसरे लोग, तुम्हारे खेल को देखकर तालियां बजाएं।
सचिन ने कहा कि आचरेकर सर की डांट उनके लिए बड़ा सबक था। तेंदुलकर ने कहा कि आचरेकर सर की उस डांट ने मेरी जिंदगी बदल दी। इसके बाद मैंने कभी भी क्रिकेट प्रैक्टिस को लेकर लापरवाही नहीं की और नतीजा सबके सामने है।