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ये है वो ‘शख्स’ जिसकी वजह से हुआ रुद्रपुर हत्याकांड का खुलासा, एक-एक कर ऐसे उतारा मौत के घाट

उत्तराखंड के उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में हुई खौफनाक वारदात से हर कोई हैरान है। हर किसी के जहन में बस एक ही सवाल है कि आखिर क्यों दामाद ने सास, ससुर और सालियों को मौत के घाट उतार दिया।

तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये खुलासा हुआ कैसे और क्यों ये नौबत आन पड़ी। दरअसल, मामला 25 अगस्त को उस समय सामने आया जब आरोपी दामाद नरेंद्र गंगवार पैगानगरी गांव गया और बटाईदार कुंवर सेन से बटाई के रूपये देने को कहा था। इस दौरान जब कुवर नरेंद्र के ससुर हीरालाल के बारे में पूछा तो नरेंद्र ने जो भी कुछ कहा वो हैरान करने वाला था।

जवाब में नरेंद्र ने कहा कि हीरालाल की मौत हो गई है और सास- दो सालियां कहीं चली गई है। इतना ही नहीं नरेंद्र ने मीरगंज तहसील से हीरालाल का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की कोशिश भी की। शक होने पर कुंवर सेन ने इसकी जानकारी हीरालाल के रिश्तेदार दुर्गा प्रसाद को दी। इन लोगों ने राजा कॉलोनी पहुंचकर मोहल्लेवासी महेश गंगवार, शिवप्रसाद गंगवार और अन्य लोगों से जानकारी की तो हीरालाल समेत उनके परिवार का कुछ पता नहीं चला था। इसके बाद ये लोग 27 अगस्त की रात पुलिस के पास पहुंचे।

शुक्रवार को पुलिस ने नरेंद्र को हिरासत में लिया और पूछताछ की। पूछताछ के दौरान जो खुलासा हुआ उसे सुनकर पुलिस के भी पैरों तले जमीन खिसक गई। नरेंद्र ने पूछताछ में बताया कि 20 अप्रैल 2019 की सुबह उसने अपने किराएदार विजय गंगवार निवासी ग्राम दमखोदा थाना देवरनिया जिला बरेली के साथ मिलकर सास, ससुर और दो सालियों की हत्या कर दी। नरेंद्र की ओर से किए गए इस खुलासे के बाद मकान के आंगन की खुदाई की गई तो हीरालाल, हेमवती (55), दुर्गा (26) और पार्वती (20) के शव बरामद किए गए। 

एसओ ललित मोहन जोशी ने बताया कि दुर्गा प्रसाद की तहरीर पर नरेंद्र, उसकी पत्नी लीलावती और किरायेदार विजय गंगवार के खिलाफ हत्या, सबूत मिटाने सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज किया गया है। नरेंद्र और विजय को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में लीलावती की भूमिका संदिग्ध है। उसकी जांच कर साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। 

वहीं आईजी अजय रौतेला ने बताया कि मूल रूप से पैगानगरी तहसील मीरगंज थाना (बरेली) निवासी 65 वर्षीय हीरालाल वर्ष 2006 में परिवार के साथ राजा कॉलोनी ट्रांजिट कैंप में बस गए थे। उनके पास गांव में 18 बीघा जमीन और मकान था। गांव छोड़ने से पहले उन्होंने पांच बीघा जमीन बेच दी थी और इससे मिले रुपये से यहां मकान बनाया था। उनके साथ पत्नी हेमवती, बेटी लीलावती, दुर्गा और पार्वती रहते थे। हीरालाल ने गांव की 13 बीघा जमीन को बटाई पर वहीं के रहने वाले कुंवर सेन को दिया था। वर्ष 2008 में लीलावती की शादी नरेंद्र गंगवार निवासी ग्राम खेड़ा सराय थाना शीशगढ़ (बरेली) से हुई थी। ससुर की संपत्ति हड़पने के लिए नरेंद्र ने इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया।

पुलिस के अनुसार पूछताछ में नरेंद्र ने बताया कि करीब एक साल पहले वह ससुर के घर गया था। उस दौरान सास और एक साली दूध लेने गये हुये थे। बातचीत के दौरान उसने फिर ससुर से संपत्ति पर हक मांगा तो कहासुनी हो गयी। इस पर उसने ससुर पर लाठियों से वार कर दिये। बचाव में आयी साली को भी बुरी तरह पीटा। दोनों को इतना मारा कि उनकी मौत हो गयी। इसी बीच सास और दूसरी साली लौटे तो उन्हें भी लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद उसने चारों शव घर में ही दफना दिये।

पुलिस के अनुसार पूछताछ में नरेंद्र ने बताया कि करीब एक साल पहले वह ससुर के घर गया था। उस दौरान सास और एक साली दूध लेने गये हुये थे। बातचीत के दौरान उसने फिर ससुर से संपत्ति पर हक मांगा तो कहासुनी हो गयी। इस पर उसने ससुर पर लाठियों से वार कर दिये। बचाव में आयी साली को भी बुरी तरह पीटा। दोनों को इतना मारा कि उनकी मौत हो गयी। इसी बीच सास और दूसरी साली लौटे तो उन्हें भी लाठियों से पीट-पीटकर मार डाला। इसके बाद उसने चारों शव घर में ही दफना दिये।

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