Almoraउत्तराखंडNews

उत्तराखंड: पहाड़ों पर चाय की खेती में है रोजगार के भरपूर मौके, प्रवासी ऐसे उठा सकते हैं फायदा

पहाड़ों में चाय की खेती लोगों को रोजगार के भरपूर मौके दे रही है। प्रवासी मजदूरों के लिए भी ये रोजगार का अच्छा साधन बन सकती है।

उत्तराखंड में चाय के उत्पादन के लिये उत्तराखंड चाय बोर्ड बनाया गया है। जो आज प्रदेश के 9 जिलों नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पिथौरागढ़, पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में चाय की खेती को विकसित कर रहा है। जिससे किसानों को बहुत फायदा हो रहा है। इसके साथ ही पर्यटन के क्षेत्र को भी इससे बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि बड़ी तादाद में लोग चाय की खेती को हरियाली की वजह से देखने भी आते हैं।

कब हई शुरुआत?

इसकी शुरुआत अलमोड़ा नगर के लक्ष्मेश्वर मोहल्ले से तब हुई। जब 1835 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने 2000 चाय के पेड़ो को लगाकर इसका परीक्षण किया। इसमें सफलता मिलने पर कौसानी बेरीनाग में चाय के बागानों को विकसित किया गया जहां चाय का उत्पादन होने लगा। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद प्रदेश सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों को चाय की खेती करने के लिये प्रेरित किया जो आज 4 हजार से ज्यादा किसानों के लिए रोजगार का साधन बन गया। अब इसको और बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने चाय विकास बोर्ड का गठन किया। बोर्ड ने करीब 1500 हेक्टेयर में चाय के पौधे लगाए।

आपको बता दे कि बोर्ड किसानों की जमीन को लीज पर लेकर चाय का उत्पादन करता है। चाय की बागानी से इस वक्त करीब 4000 लोग जुड़े हैं और मौजूदा वक्त में बागानी से चाय का उत्पादन 90 हजार किलो तक हर साल होता है। खास बात ये है कि इसमें फर्टीलाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यहां पर दो तरीके की चाय तैयार की जाती है। उनमें एक है ग्रीन टी और दूसरी ब्लैक टी। यहां की चाय की पत्ती की विदेशों में भी काफी डिमांड है।

उत्तराखंड चाय बोर्ड का क्या है फ्यूचर प्लान?

बोर्ड के वित्त एवं नियंत्रण अधिकारी अनिल खोलिया ने बताया कि अभी तक प्रदेश के 9 जिलों में 1500 हेक्टेयर में चाय लगाई जा रही है। अब इसको और बढ़ाने के लिये राज्य सरकार से बोर्ड को 19 करोड़ दिया मिला है। सरकार का प्लान है इसके तहत प्रवासी मजदूर जो बेरोजगार हैं उनको मनरेगा के तहत इसमें काम दिया जाए और 42 लाख पौधे की नई नर्सरी बनाई जाए। इससे करीब 3 हजार प्रवासियों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। साथ ही अब उत्तराखंड में बनी इस चाय को बेचने के लिए चार धाम यात्रा के मार्ग में बिक्री केंद्र भी खोले जा रहे हैं।

अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from News Nukkad

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading