गाजीपुर: ये हैं कमसार के ‘काठ के जादूगर’, लकड़ी में ताजमहल जैसी खूबसूरती पैदा करने की रखते हैं कूवत!
कहते हैं कि भारत प्रतिभा का एक खजाना है। यहां लाखों-करोड़ों ऐसी प्रतिभाएं हैं जो गांवों और सुदूर इलाकों में बसती हैं।
इन प्रतिभाओं को कभी वो पहचान नहीं मिलती, जिसके वो असल हकदार होते हैं। ऐसी ही एक प्रतिभा हैं राजेंद्र प्रसाद शर्मा। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मिर्चा गांव के रहने वाले 76 साल के राजेंद्र प्रसाद शर्मा ‘काठ के जादूगर’ हैं। उन्हें लकड़ी हास्त कलाकृति के क्षेत्र में महारत हासिल है। उनके हाथों में ऐसा जादू है कि वो जिस पर हाथ रख दें उसमें ताजमहल जैसी खूबसूरती पैदा हो जाती है। राजेंद्र प्रसाद शर्मा द्वारा बनाई गई लकड़ी की वस्तुओं पर एक बार अगर आप नजर डालें तो बस देखते ही रह जाएंगे।

राजेंद्र प्रसाद शर्मा एक भूतपूर्व सैनिक हैं। वो बचपन से ही प्रतिभाशाली रहे हैं। राजेंद्र प्रसाद शर्मा कहते हैं कि साल 1967-68 के दौरान जब दिलदार नगर के आदर्श विद्यालय में पढ़ा करते थे। उन दिनों भौतिक शास्त्र प्रयोगशाला के लिए इस प्रतीक स्मृति के रूप में अपने मैकेनिक मानसिक स्थिति से स्टीम इंजन बनाकर चलाकर गुरु ओंकार सिंह गौतम को दिखाया और भौतिक शास्त्र के लैब को समर्पित किया था।

काठ का ये जादूगर अपने घर पर खुद के द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को संजोकर रखा है। इनमें भगवान शिव की लकड़ी की बनी मूर्ति, शिवलिंग और नंदी, भगवान बुद्ध की बनी मूर्ति श्री गुरु नानक देव की मूर्ति और गणेश जी की मूर्ति शामिल हैं।

राजेंद्र प्रसाद शर्मा ने बताया कि महुआ, जामुन और शीशम की लकड़ी पर इन देवताओं की आकृति उतारने में जो मानसिक स्थिति बनती है वो मेरे संस्कार में बचपन से ही है। 40 साल पुरानी बातों पर चर्चा करते हुए शर्मा जी ने बताया कि कमसार में जब प्रिंट साड़ियां बाहर से नहीं आती थीं, तब रंगीन कपड़े पर लकड़ी का सांचा बनाकर मैं छपाई किया करता था। उन्होंने बताया कि उसपर कढ़ाई की गई 80 जोड़ी साड़ियां, सलवार सूट, बच्चियों की शादी में इलाके के लोग दिया करते थे।

राजेंद्र प्रसाद शर्मा कहते हैं कि उन्होंने विद्यार्थी जीवन में लकड़ी पर कलाकृति बनाने का ज्ञान को हासिल कर लिया था। अपने हाथों से लकड़ी पर उकेरी हुई कलाकृतियों को दिखाते ने बताया कि 1 दरवाजे को बनाने, उनमें कलाकृतियों को स्थापित करने में 3 साल का समय लगता है।

राजेंद्र प्रसाद आर्थिक रूप से कमजोर हैं। वो कहते हैं कि लकड़ी पर कलाकृति बनाने का मेरा ज्ञान धन के अभाव में कमजोर होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा मेरे इस कलाकृति को प्रोत्साहित किया जाए, मुझे आर्थिक मदद मिले तो मैं इसे दोबारा अच्छी स्थिति में स्थापित करूंगा। उन्होंने बताया कि बहुतेरे प्रतिष्ठित लोगों ने मेरे देवनागरी लिपि की लिखावट से गदगद होकर मुझसे निमंत्रण कार्ड लिखवाते हैं। लेकिन इस प्रतिभा को आगे ले जाने के लिए ये नाकाफी है।

जरूरत है कि हमारी सरकारें काठ में ताजमहल जैसी खूबसूरती भरने वाले ‘काठ के जादूगर’ राजेंद्र प्रसाद शर्मा जैसी प्रतिभा की मदद के लिए आगे आएं। ताकि आने वाले समय में राजेंद्र प्रसाद शर्मा अपने इलाके के साथ प्रदेश और देश का नाम रोशन करें।
(न्यूज़ नुक्कड़ के लिए यूपी के गाजीपुर से इजहार खान की रिपोर्ट)