गाजीपुर: बिना टेस्ट पास बताए गए सैकड़ों अभ्यर्थी? RTO कार्यालय की प्रक्रिया जांच के घेरे में
गाजीपुर जिले में एआरटीओ कार्यालय से जुड़ी ड्राइविंग लाइसेंस प्रक्रिया एक बार फिर चर्चा में है। सूत्रों के अनुसार, जिले के तेज सिंह मोटर ट्रेनिंग स्कूल पर ड्राइविंग टेस्ट प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। बताया जा रहा है कि इस संस्थान के जरिए बिना निर्धारित टेस्ट प्रक्रिया के ही बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को “पास” घोषित कर लाइसेंस जारी किए गए।
जानकारी के अनुसार, शासन द्वारा अधिकृत इस प्रशिक्षण संस्थान को लाइसेंस टेस्ट संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी गई थी, जो सामान्यतः एआरटीओ और आरआई की निगरानी में होती है। लेकिन बीते माह तक इन दोनों प्रमुख पदों के रिक्त होने के बावजूद भी सैकड़ों आवेदकों को लाइसेंस के लिए पास दिखाया गया।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि जब तक जिले में नियमित एआरटीओ और आरआई तैनात थे, तब तक पास होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या सीमित (20-25 प्रतिमाह) थी। लेकिन जैसे ही प्रशासनिक पद खाली हुए, पास अभ्यर्थियों की संख्या अचानक कई गुना बढ़ गई। इससे प्रक्रिया की पारदर्शिता और वैधता पर सवाल उठ रहे हैं।
वसूली के आरोप भी सामने आए
मीडिया में चल रही रिपोर्टों और स्थानीय नागरिकों के अनुसार, कुछ लोगों से ₹3000 से ₹6000 तक की वसूली कर बिना टेस्ट के ही लाइसेंस जारी कर दिए गए। आरोप यह भी है कि यह रकम न केवल प्रशिक्षण संस्था को दी जा रही थी, बल्कि कुछ विभागीय कर्मचारियों और दलालों तक भी पहुंचाई जा रही थी। हालांकि, इन आरोपों की अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
नव नियुक्त एआरटीओ ने दिए जांच के संकेत
जब यह मामला मौजूदा एआरटीओ धनवीर यादव के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी स्तर पर अनियमितता या आर्थिक लेन-देन की पुष्टि होती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना है कि “पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी।”
प्रक्रिया में निगरानी की कमी?
सबसे अहम सवाल यह उठता है कि जब आरआई और एआरटीओ के पद रिक्त थे, तब ड्राइविंग टेस्ट की प्रक्रिया किसकी निगरानी में हुई? क्या दस्तावेजों की जांच और वीडियो रिकॉर्डिंग की गई? अगर नहीं, तो फिर इतने आवेदन कैसे अप्रूव हो गए?
यह मामला सिर्फ एक संस्थान तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे ड्राइविंग लाइसेंस सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।
शासन से कार्रवाई की मांग
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने शासन से मांग की है कि इस पूरे मामले की स्वतंत्र जांच करवाई जाए और यदि कोई दोषी पाया जाए तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई हो।
(यूपी के गाजीपुर से रिजवान अंसारी की रिपोर्ट)