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उत्तराखंड के इतिहास से जुड़ी इन बातों को जानते हैं आप? बेहद रोचक हैं ये, पढ़िये

उत्तराखंड का इतिहास पौराणिक है। उत्तराखंड का शाब्दिक अर्थ उत्तरी भू भाग का रूपांतर है। इस नाम का उल्लेख शुरुआती हिन्दू ग्रंथों में मिलता है। उत्तराखंड प्राचीन पौराणिक शब्द भी है जो हिमालय के मध्य फैलाव के लिए प्रयुक्त किया जाता था।

उत्तराखण्ड को देवों की भूमि भी कहते हैं, क्योंकि पूरे भारत में देवताओं, देवियों और महान ऋषियों ने जन्म लिया। उत्तराखंड में पारव, कुषाण, गुप्त, कत्यूरी, पाल, चंद, पवांर राजवंश और अंग्रेजों ने बारी- बारी से शासन किया। उत्तराखंड पहले उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा था। जिसे अलग राज्य का दर्जा देने के लिए कई आंदोलन हुए। 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को 27वें राज्य के रूप में भारत गणराज्य के शामिल किया गया। 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था। जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।

पौराणिक इतिहास
पौराणिक ग्रंथों में कुर्मांचल क्षेत्र मानसखंड के नाम से प्रसिद्ध था। पौराणिक ग्रंथों में उत्तरी हिमालय में सिद्ध गन्धर्व, यक्ष, किन्नर, जातियों की सृष्टि का राजा कुबेर बताया गया है। कुबेर की राजधानी अलकापुरी जो बद्रीनाथ से ऊपर बताई जाती हैं। पुराणों के मुताबिक राजा कुबेर के आश्रम में ऋषि मुनि तपस्या और साधना करते थे। अंग्रेज इतिहासकरों के मुताबिक हुण, शक, नाग, खस, जातियां भी हिमालय क्षेत्र में रहती थीं। पौराणिक ग्रंथो में केदार खंड और मानस खंड के नाम से इस क्षेत्र का उल्लेख है। इस क्षेत्र को देवभूमि और तपोभूमि माना जाता हैं|

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