Newsउत्तराखंड स्पेशल

उत्तराखंड की फूलों की घाटी नहीं देखी तो कुछ नहीं देखा! यहां अगर आप एक बार आए तो बन जाएंगे मुरीद!

देश में अनलॉक-4 शुरू होने के साथ ही देशभर में लोगों के भ्रमण का सिलसिला भी शुरू हो गया है।

चमोली में फूलों की घाटी खुलने के बाद से ही लोगों का यहां आने का सिलसिला भी जारी है। अब तक 700 से ज्यादा पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं। जबकि जबकि 30 हजार से ज्यादा तीर्थ यात्री चारधाम में दर्शन कर चुके हैं। आपको बता दें कि एक अगस्त को फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिए खोला गया था। पिछले साल करीब 15 हजार लोग पर्यटन वैली में आए थे। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने कहा कि फूलों की घाटी विदेशी पर्यटकों के लिए स्विट्जरलैंड के ट्यूलिप मीडोज से कम नहीं है।

फूलों की घाटी की क्या है खासियत?
देश और दुनिया के लाखों श्रद्धालु फूलों की घाटी की शैर करने लिए आते हैं। 87.50 किमीटर वर्ग क्षेत्र में फैली इस फूलों की घाटी में करीब 500 किस्म के फूल देखने को मिल सकते हैं। इसका इतिहास बेहद रोचक है। फूलों की घाटी का जिक्र रामायण में भी है। कहा जाता है कि लंका से युद्ध के दौरान जब भगवान राम के भाई लक्ष्मण मुरक्षित हो गए तब हनुमान जी इसी फूलों की घाटी में आए थे। जब उन्हें संजीवनी नहीं मिली तो वो यहां से पहाड़ ही उठाकर ले गए थे। जिसमें संजीवनी उगती थी। घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है।

क्या है मान्यताएं?
ऐसी मान्यता है कि फूलो की घाटी में परियां निवास करती हैं। यही वजह है कि लंबे वक्त तक लोगों ने इस घाटी का रुख नहीं किया। फूलों की घाटी की खोज सबसे पहले फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में की। फ्रैंक ब्रिटिश पर्वतारोही थे। फ्रेंक और उनके साथी होल्डसवर्थ ने इस घाटी की खोज की थी। इसके बाद फूलों की घाटी मशहूर पर्यटल स्थल बन गया। इस घाटी को लेकर स्मिथ ने ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ किताब भी लिखी थी। फूलों की घाटी को यूनेस्को ने 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *