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उत्तराखंड: सात हजार फीट की ऊंचाई पर बसा बहुत ही खूबसूरत पर्यटन स्थल, इस जगह के हैं कई ऐतिहासिक महत्व

उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है, क्योंकि यहां धार्मिक पर्यटन स्थलों की कमी नहीं है। प्रदेश के हर जिले का अपना एक धार्मिक महत्व है। केदारनाथ और बदरीनाथ, ऋिषिकेश के बारे में तो दुनिया को पता है, लेकिन कई ऐसी जगह भी है जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। उन्हीं में से एक है चंडाक।

हिमालय की गोद में बसे पिथौरागढ़ में सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चंडाक खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थलों में शुमार है। बताया जाता है कि यहां से हिमालय की चोटयों के भव्यता देखते ही बनती है। इस जगह की अपनी धार्मिक मान्यता भी है। कहा जाता है कि यहां देवी ने असुरों का संहार किया था। जबकि द्वापर युग में पांडवों ने अज्ञातवास के दिन यहीं पर गुजारे थे। जिस जगह पर देवी ने चंड राक्षस का नाश किया उसे चंडाक और जिस जगह पर मुंड का वध किया उसे मड़ नाम से जाना जाता है।

कई इतिहासकारों के मुताबिक बहुत पहले किसी जमाने में पिथौरागढ़ नगर सरोवर था। तब रामगंगा और सरयू नदी के संगम स्थल रामेश्वर तक जाने का रास्ता चंडाक होकर ही जाता था। ऐसी मान्यता है कि जब देवी राक्षसों का नाश कर रही थीं तो चंड और मुंड राक्षसों का पीछा करती हुई चंडाक तक पहुंचीं थी। ऐसा कहा जाता है कि चंडाक में देवी ने चंड राक्षस का नाश किया था। इसी वजह से इस जगह का नाम चंडाक पड़ गया। इसके पास ही मड़ नाम की जगह पर देवी ने मुंड राक्षस का नाम किया जिसका नाम मड़ गया। किवंदतिंयों के मुताबिक इस जगह को द्वापर काल से भी जोड़ा जाता है। द्वापर युग में जब पांडव अज्ञातवास पर थे तब द्रौपदी भीम के साथ रहती थीं।

पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान चंडाक में ही कुछ वक्त के लिए निवास किया था। एक कथा ये भी है कि पिथौरागढ़ तब सरोवर हुआ करता था। सरोवर बड़ा और गहरा होता था। कहा जाता है कि एक बार की बात जब द्रौपदी ने सरोवर में स्नान करने की इच्छा जताई तब भीम उनकी इच्छा पूरी करने को सरोवर तोडऩे के लिए सातशिलिंग की तरफ बड़े-बड़े पत्थर फेंके। पत्थरों के फेंके जाने से सातशिलिंग के पास से रिसाव होने लगा। जिसके बाद सरोवर का पानी कम हो गया और जिसके बाद द्रौपदी ने वहां स्नान किया। आज भी मड़ गांव की भूमि पर पड़े विशाल पत्थरों को भीम के पत्थरों से नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि सरोवर से रिसाव होने से हजारों सालों के बाद झील सूख गई और फिलहाल पिथौरागढ़ का नाम सोर पड़ गया।

आपको बता दें कि चंडाक सोर घाटी का सबसे ऊंचा देवदार के जंगलों से घिरा और बहुत खूबसूरत जगह है। अंग्रेजों ने अपने शासनकाल के दौरान 1882 में यहां पर लेप्रोसी मिशन अस्पताल बनाया था। जिस जगह पर लेप्रोसी अस्पताल था उसे चंडाक मिशन के नाम से जाना जाता है। हालांकि एक दशक पहले लेप्रोसी अस्पताल बंद हो चुका है। चंडाक पिथौरागढ़ नगर का प्रमुख पर्यटन केंद्र है। जहां से हिमालय के विराट दर्शन होते हैं। अब इस जगह पर अब ट्यूलिप गार्डन बनाया जा रहा है।

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