उत्तराखंड: दारमा घाटी..जहां पांडवों ने पांच चूल्हे लगाकर बनाया था अंतिम भोजन, खूबसूरती आप निहारते रह जाएंगे
शीतल आबोहवा, हरेभरे मैदान और खूबसूरत पहाड़ियां, ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने उत्तराखंड अपने अनुपम सौंदर्य की छटा दिल खोल कर बिखेरी है।
यही वजह है कि देशी और विदेशी पर्यटक यहां अनायास खिंचे चले आते हैं और सुकून अनुभव करते हैं। अपनी इन्हीं खूबियों के चलते उत्तराखंड घुमक्कड़ों की चहेती जगह है। ऐसी ही एक जगह है दारमा घाटी। यहां की ख़ूबसूरती की व्याख्या शब्दों में कर पाना बहुत मुश्किल है। इन तस्वीरों को देखकर आप महसूस कर सकते है कि यहां पहुंच कर प्रकृति के इन रंगों को अनुभव करने से मन को कितना सुकून मिलता होगा।
दुग्तू गांव से पंचाचूली बेस कैंप और जीरो प्वाइंट तक का ट्रैक छोटा और आसान, लेकिन असीमित सुंदरता से भरा हुआ है। धौलीगंगा इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नदी है। प्राचीनकाल में इसे दारमा नदी के नाम से भी जाना जाता था। इस घाटी में जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों की भी विविध प्रजातियां देखने को मिलती हैं। जब आप आगे और ऊंचाई पर जाएंगे तो अलग-अलग रंगों के फूलों की प्रजातियां भी देखने को मिल जाती है।
ऐसी मान्यता है कि स्वर्गारोहण के लिए हिमालय की यात्रा के दौरान पांडवों ने इसी पर्वत पर अपना अंतिम भोजन बनाया था। इसके पांच उच्चतम शिखरों पर पांचों पांडवों ने पांच चूल्ही अर्थात छोटे चूल्हे बनाये थे। इसलिए ये जगह पंचचूली कहलाया।