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उत्तराखंड स्पेशल: पहाड़ों के बीच बना वो मंदिर जहां दान नहीं लिया जाता, प्रसाद में मिलती है चाय

लोग अपनी मन्नतों को लेकर भगवान के घर जाते हैं। भगवान को खुश करने के मकसद से मंदिरों में चढ़ावा चढ़ाते हैं। दान करते हैं।

देशभर के हर मंदिर में दान से मंदिर प्रशासन की लाखों-करोड़ों रुपये की कमाई होती है, लेकिन देहरादून का एक ऐसा मंदिर है। जहां दान स्वीकार नहीं किया जाता है। देहरादून में मसूरी रोड पर स्थित प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर के प्रशासन का मानना है कि भगवान धन, ऐश्वर्य, छप्पन भोग वगैरह के नहीं, बल्कि भाव के भूखे होते हैं। इसी भाव को ध्यान में रखते हुएमें दान स्वीकार नहीं है। मंदिर देहरादून-मसूरी रोड पर घंटाघर से करीब 12 किलोमीटर दूर कुठाल गेट के पास हरी-भरी पहाड़ियों के बीच सड़क के किनारे स्थित है प्रकाशेश्वर महादेव मंदिर। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर देहरादून के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है।

ये मंदिर देश की उन चुनिंदा मंदिरों में से एक है जहां दान पेटी नहीं है। श्रद्धालुओं को मंदिर की तस्वीर लेने पर भी बाबंदी है। कोई भी मंदिर में दर्शन कर सकता है और प्रसाद के रूप में मंदिर की रसोई में परोसी जाने वाली चाय ले सकता है। जिस कप में आप चाय पियेंगे उसे आपको खुद ही धोना भी पड़ेगा। मंदिर के मुख्य द्वार पर एक शिलापट लगा है, जिसमें बांग्ला भाषा में एक फरमान अंकित है। इसमें किसी भी तरह के चढ़ावे की मनाही का निर्देश दिया गया है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग इस मंदिर का मुख्य आकर्षण हैं, जो दुर्लभ पत्थरों और स्फटिक के बने हुए हैं। स्फटिक एक तरह का बर्फ का पत्थर है, जो लाखों वर्ष बर्फ में दबे होने से बनता है। यह दिखने पारदर्शी और कठोर होता है।

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