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मानवाधिकार दिवस: यूपी के दिलदार नगर में सेमिनार आयोजित, जानें क्या हैं मानवाधिकार, कब हुई इसकी शुरूआत?

देशभर में मंगलवार यानी 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया गया। इस मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में कार्यक्रम आयोजित किए गए।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के दिलदार नगर में मानवाधिकार दिवस के मौके पर ‘हुब्बे वतन तरक्की पसंद सोसाइटी’ की ओर से एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में इलाके कई अहम लोग शामिल हुए। सेमिनार को संबोधित करते हुए ‘हुब्बे वतन तरक्की पसंद सोसाइटी’ के संयोजक और प्रधान महासचिव फिरोज खान कादरी, सोसाइयी के उपाध्यक्ष शिवनारायण राम और सोसाइटी के राष्ट्रीय महासचिव प्रसार मोहम्मद दस्तगीर खान ने मानवाधिकरों को लेकर अपने विचार रखे और लोगों को इसके बार में जागरूक किया। मानवाधिकार दिवस हर साल अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है। इस साल की थीम ‘यूथ स्टैंडिंग अप फॉर ह्यूमन राइट्स’ है।

मानव के अधिकार क्या हैं?

मानवाधिकार का मतलब मौलिक और मूलभूत अधिकारों से है। यानी वो अधिकार जिनसे किसी भी व्यक्ति को वंचित नहीं रखा जाना चाहिए। इसमें स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक और शिक्षा का अधिकार समेत कई अधिकार शामिल हैं। किसी भी इंसान को नस्ल, रंग, जाति, धर्म, लिंग, भाषा, राष्ट्रीयता और अन्य विचारधारा के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा हुआ तो ये मानवाधिकार का उल्लंघन है।

मानवाधिकार दिवस की कब और क्यों शुरूआत हुई?

संयुक्त राष्ट्र सामान्य महासभा ने 10 दिसंबर, 1948 में मानव अधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा साल 1950 में की गई। मानवाधिकार दिवस मनाने का मकसद लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और भेदभाव को रोकना है। भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानवाधिकार कानून को अमल में लाया गया था। वहीं, सरकार ने 12 अक्टूबर को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया था।

भारत में मानवाधिकार आयोग के कार्यक्षेत्र में बाल मजदूरी, महिला अधिकार, बाल विवाह, स्वास्थ्य, भोजन,  अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति-जनजाति समेत कई क्षेत्र आते हैं। इन क्षेत्रों में आयोग ये कोशिश करता है कि बेहतर स्थिति पैदा की जाए और लोगों को मूलभूत अधिकारों से वंचित न रखा जाए। हालांकि इतने जतन के बावजूद भारत में मानवाधिकारों को लेकर अच्छी स्थिति नहीं है। गौरतलब है कि 2016 की ‘ह्युमन राइट्स वॉच’ की रिपोर्ट में भारत में मानव अधिकारों को लेकर चिंता जाहिर की थी। ऐसे में इस क्षेत्र में भारत में बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है।

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