उत्तराखंड: पहाड़ों पर घर बनाना हुआ आसान
आने वाले दिनों में प्रदेश में घर बनाना आसान हो सकता है। सरकार जो प्रक्रिया अपनाने जा रही है उससे घर बनाने के लिए जरूरत रेत, बजरी वैगराह और वाजिब दाम में मिलेगा।
दरअसल प्रदेश मंत्रिमंडल बैठक में निजी क्षेत्र के पट्टों को ई टेंडरिंग की प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही संबंधित जनपद के जिलाधिकारी को पट्टे जारी करने का अधिकार भी दे दिया। इससे जहां पट्टों के आवंटन की प्रक्रिया में तेजी आएगी वहीं उन पर खनन और चुगान होने से बाजार में खनिज सामग्री उपलब्ध हो सकेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिलहाल सूबे में हर साल रेत, बजरी और बोल्डर की कुल मांग करीब 16 करोड़ मीट्रिक टन है। लेकिन मांग के तुलना में आरबीएम की आपूर्ति एक चौथाई भर ही है। पूरा दबाव राज्य वन विकास निगम, गढ़वाल मंडल विकास निगम और कुमाऊं मंडल विकास निगम के खनन पट्टों पर है। इन पट्टों से करीब चार करोड़ मीट्रिक टन हर साल आरबीएम निकाले जाने का आकलन है।
मांग और आपूर्ति के बीच करीब 12 करोड़ मीट्रिक टन आरबीएम का बड़ा अंतर है। जिसे सरकार निजी क्षेत्र के पट्टों को खोलकर भरना चाहती है। इसी के लिए कैबिनेट में निजी क्षेत्र के खनन पट्टों को ई निविदा की प्रक्रिया से बाहर करने का फैसला लिया गया। इस संबंध में उत्तराखंड उपखनिज नियमावली में संशोधन कर दिया गया है। इसके तहत ई निविदा, ई नीलामी प्रक्रिया के स्थान पर भूस्वामी की सहमति प्राप्त आवेदकों के आवेदन करने के बाद पट्टा स्वीकृत होगा। ये स्वीकृति देने का अधिकार जिलाधिकारी को दिया गया है।
निर्माण कार्य में आएगी तेजी
इस फैसले से निर्माण कार्य में तेजी आने की उम्मीद है। जिससे रोजगार भी बढ़ने की उम्मीद है। प्रदेश में चारधाम आल वेदर रोड़, राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण की परियोजनाएं, महाकुंभ परियोजना और ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के निर्माण के लिए भारी मात्रा खनिज सामग्री की जरूरत है। सरकार के फैसले से इन सभी बड़ी परियोजनाओं को समय पर आरबीएम मिल सकेगा।