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पिथौरागढ़: आपदा की आंधी में उड़ा आशियाना, अब तक नसीब नहीं हुआ आसरा, टेंट में रहने को मजबूर

उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में इस बार मॉनसून ने जमकर कहर बरपाया। आसमानी बिजली गिरने और भूस्खलन से कई जिंदगियां काल के गाल में समा गईं।

मॉसून में आसमान से बरसी आफत से मची तबाही के बाद अब तक पहाड़ी इलाकों जीवन पटरी पर नहीं लौट पाया है। बारिश में सबसे ज्यादा तबाही पिथौरागढ़ जिले में देखने को मिली। यहां के बेरीनाग तहसील के कई गांवों ने आपदा की मार झेली। आपदा के करीब एक महीने से ज्यादा बीत जाने के बावजूद लोगों का जीवन अभी भी पटरी पर नहीं लौटा है। आपदाग्रस्त इलाकों में दो दर्जन से ज्यादा परिवार अभी भी जंगलों के बीच टेंट में रहने को मजबूर हैं।

पिछले महीने भारी बारिश के बची पांखू इलाके के कई गांवों में भूस्खलन से कई घर जमींदोज हो गए थे। इन घरों में रहने वाले लोगों को समय रहते बचा लिया गया था। लेकिन अभी तक इन लोगों को रहने के लिए छत नसीब नहीं हो पाया है। कूडी गांव में प्रशासन ने कुछ परिवारों को तो स्कूल में। वहीं परिवारों को टेंट में शिफ्ट कर दिया था। टेंट कब इन्हें घर मिलेगा इसे लेकर ये लोग चिंतित हैं।

इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि इस आपदा में उनका सब कुछ बर्बाद हो गया है। गांव के ज्यादातर घर खतरे की जद में हैं। ऐसे में ग्रामीणों की मांग है कि उन्हें स्थायी तौर पर विस्थापित किया जाए। वहीं, स्थानीय विधायक मीना गंगोला ने भी ग्रामीणों का हाल जाना। साथ ही उन्होंने इन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही उन्हें स्थाई तौर पर विस्थापन किया जाएगा।

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