केंद्र की मोदी सरकार ने रोजगार से जुड़े कोर्स को लेकर बड़ा ऐलान किया है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने संसद में इस बात की जानकारी दी।
लोकसभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए सोमवार को रमेश पोखरिया निशंक ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 से इंजीनियरिंग में ऐसे पारंपरिक पाठ्यक्रमों को इजाजत नहीं दी जाएगी, जिनसे छात्रों को कम रोजगार मिलने की संभावना है।
एचआरडी मंत्री निशंक ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसे उभरते क्षेत्र से जुड़े पाठ्यक्रमों को 2020-21 सत्र में मंजूरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाएं ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग के छात्रों को सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान का हिस्सा बनाने के लिए ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
रमेश पोखरियाल निशंक ने सदन को बताया कि फिलहाल विदेशों से हासिल एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिग्री को मान्यता देने का प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा नीति के मुताबिक, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज सिर्फ उन्हीं अनुमोदित या मान्यता प्राप्त विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा दी गई मास्टर डिग्री को मान्यता देता है जो दो साल की अवधि के होते हैं।
निशंक ने सदन को ये भी बताया कि विदेशी विश्वविद्यालय से मिली डिग्री की समकक्षता की समस्याओं को देखने के लिए यूजीसी के अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। निशंक ने बताया कि समिति ने जो सिफारिशें की थीं वो हर देश की अकादमिक संप्रभुता के लिए परस्पर सम्मान के सिद्धांत पर आधारित थीं।
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