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गुलाम नबी आजाद का मोदी सरकार से सवाल, यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर जाने दिया, हमें क्यों नहीं?

यूरोपीय संसद के प्रिनिधिमंडल ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद विदेशी रानयिकों का ये पहला दौरा था।

यूरोपीय संसद के सदस्यों के कश्मीर दौरे को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद मोदी सरकार से कई सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा, “हमें यूरोपीय संसद के सदस्यों के कश्मीर के दौरे पर जाने से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन आपत्ति इस पर है कि अपने देश के सांसदों को जम्मू-कश्मीर में जाने नहीं दिया गया था। मैं खुद 5 अगस्त को कानून बनने के बाद जब श्रीनगर जाने की कोशिश की तो पांच घंटे तक एयरपोर्ट पर रहने के बावजूद भी मुझे वहीं से वापस भेज दिया गया था।

आजाद ने कहा, “इसके एक हफ्ते बाद मैंने जम्मू में कोशिश की। जम्मू में भी चार घंटे एयरपोर्ट पर मुझे रोका गया। बाहर भी नहीं निकलने दिया। वहीं से मुझे वापस भेज दिया गया। इसके बाद हमने एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल जिसकी अगुवाई राहुल गांधी की अगुवाई ने की थी, जिसमें सीपीआई, सीपीएम और दूसरी करीब 8 से 10 राजनीतिक पार्टियों के नेता श्रीनगर पहुंचे थे। उस दिन भी 4 घंटे के बाद हमें श्रीनगर से ही वापस भेज दिया गया था।”

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आजाद ने कहा कि चौथी बार में मुझे सुप्रीम कोर्ट में जाना पड़ा था। आजाद ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बाद मुझे जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत मिली और वो भी चंद जगहों पर। जिन जगहों पर मैं गया वहां भी 90 फीसदी जगहों पर पुलिस ने लोगों को दरवाजे से वापस भेज दिया। दरवाजे पर कैमरे लगे थे। उनका पता पूछा जाता था। उन्हें डाराया जाता था, धमकाया जाता था कि अगर सरकार के खिलाफ कुछ बोला तो फिर तुम ध्यान रखना। ये रवैया है, पिंजरे में बंद रखा। यूरोपीय यूनियन के सदस्यों को वहां से लाकर कश्मीर भेज रहे हैं। ये एक आयोजित दौरा है।”

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