नहीं रहे हिंदी के मशहूर साहित्यकार नामवर सिंह
हिंदी के मशहूर साहित्यकार नामवर सिंह नहीं रहे। 92 साल की उम्र में मंगलवार रात दिल्ली के AIIMS में उन्होंने आखिरी सांस ली। आलोचना की विधा के शिखर पुरुष नामवर सिंह एक महीने से AIIMS के ट्रामा सेंटर में भर्ती थे।
जनवरी में तबीयत खराब होने पर उन्हें ICU में भर्ती कराया गया था। खबरों के मुताबिक नामवर सिंह अपने कमरे में गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। नामवर सिंह के निधन से हिंदी जगत सन्नाटे में है। उनके निधन पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने दुख जताया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा ”नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परंपरा के अन्वेषी डॉ. नामवर सिंह का निधन हो गया है। 26 जुलाई को वो 93 साल के हो जाते। नामवर ने अच्छा जीवन जिया, बड़ा जीवन जिया। नतशीश नमन।”
Hindi literary critic & author Professor Namvar Singh passed away at AIIMS Trauma Centre, Delhi at 11:51 pm, 19 February. pic.twitter.com/Z0e5xFu77V
— ANI (@ANI) February 19, 2019
हिंदी में फिर सन्नाटे की ख़बर। नायाब आलोचक, साहित्य में दूसरी परम्परा के अन्वेषी, डॉ नामवर सिंह नहीं रहे। मंगलवार को आधी रात होते-न-होते उन्होंने आख़िरी साँस ली। कुछ समय से एम्स में भरती थे। 26 जुलाई को वे 93 के हो जाते। उन्होंने अच्छा जीवन जिया, बड़ा जीवन पाया। नतशीश नमन। pic.twitter.com/ddzgsvuhMj
— Om Thanvi | ओम थानवी (@omthanvi) February 19, 2019
कौन थे नामवर सिंह?
नामवर सिंह का जन्म बनारस के जीयनपुर गांव में हुआ था(फिलहाल चंदौली जिले में है)।उन्होंने हिन्दी साहित्य में एमए और पीएचडी किया। इसके बाद BHU में शिक्षक रहे। 1959 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। नामवर सिंह ने लंबे वक्त तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बतौर शिक्षक काम किया। नामवर सिंह की हिन्दी के अलावा उर्दू और संस्कृत भाषा भी जानते थे।
कहा जाता है कि नामवर सिंह की ऐसी कोई किताब नहीं जिस पर वाद-विवाद और संवाद ना हुआ हो। उन्हें साहित्य अकादमी सम्मान से भी नवाजा गया है। बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां, छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी नई कहानी, कविता के नये प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, उनकी प्रमुख रचनाएं हैं।