मोदी की सुनामी में भी अफजाल के हाथों मात खा गए मनोज सिन्हा, बेहद रोचक है गाजीपुर सीट का इतिहास, पढ़िए

मोदी की सुनामी में बीजेपी को वो नेता भी जीत गए, जिनकी नैया बीच भंवर में डगमगा रही थी। ऐसी लहर में भी गाजीपुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा एक अदद अपनी सीट नहीं बचा पाए।

मनोज सिन्हा को गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने 1 लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया है। ये वही सीट है, जहां कुछ दिन पहले प्रशासन पर ईवीएम की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए गंठबंधन के प्रत्याशी और बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई धरने पर बैठ गए थे। हालांकि बाद में प्रशासन ने इस मामले को शांत करा दिया था।

बेहद रोचक है गाजीपुर लोकसभा सीट का इतिहास:

गाजीपुर लोकसभा सीट पुर्वांचल की अहम सीटों में से एक है। यहां से कई दिग्गज सांसद रहते हुए इस इलाके का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन दशकों में इस सीट पर दूसरी बार कोई भी नेता लोकसभा चुनाव नहीं जीत सका। मनोज सिन्हा के पास ये मौका था कि इस रिवायत को वो बदल सकें, लेकिन वो ऐसा करने में नाकाम रहे। इस सीट से कांग्रेस नेता जैनुल बशर दो बार जीते थे। पहली बार वो 1980 से 1984 तक सांसद रहे। वहीं दूसरी बार वो 1984 में लोकसाभा चुनाव जीते। 1989 में यानी तीसरी बार इस सीट से चुनाव हार गए थे। 1989 के चुनाव के बाद से कोई भी नेता इस सीट से दो बार लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाया।

मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री और इस सीट से मौजूदा सांसद मनोज सिन्हा पहली बार 1996 में बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे, लेकिन 1998 में हुए अगले चुनाव में वो हार गए थे। 1999 में वो गाजीपुर से फिर चुनाव जीते, लेकिन 2004 में उन्हें फिर हार का सामना करा पड़ा। 2014 में वो बीजेपी की टिकट पर इस सीट से तीसरी बार चुनाव जीतकर सांसद पहुंचे थे, लेकिन इस बार वो हार गए।

इस सीट पर एसपी-बीएसपी गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी भी 2004 में समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन अगली बार 2009 में बीएसपी की टिकट पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। अफजाल को समाजवादी पार्टी के राधेमोहन सिंह ने हरा दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में राधेमोहन सिंह को समाजवादी पार्टी ने टिकट नहीं दिया ऐसे वो दूसरी बार इस सीट से जीत का सिलसिला बरकरार नहीं रख पाए।

गाजीपुर लोकसभा सीट से 1989 में जगदीश कुशवाहा निर्दलीय चुनाव जीते, वहीं 1991 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विश्वनाथ शास्त्री चुनाव जीते, लेकिन ये दोनों ही नेता दूसरी बार संसद नहीं पहुंच सके।

1989 से पहले गाजीपुर सीट से कई नेता दो बार चुनाव जीते:

1989 से पहले कई ऐसे नेता रहे जो लगातार दो बार गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। हालांकि वो नेता भी लगातार तीन पर इस सीट से जीत दर्ज नहीं कर पाए। कांग्रेस के हरप्रसाद सिंह 1952 और 1957 के बाद चुनाव मैदान से बाहर हो गए। सीपीआई के सरजू पांडेय भी 1967 और 1971 के बाद संसद नहीं पहुंच सके थे। 1980 में इंदिरा लहर में और फिर 1984 में चुनाव जीतने वाले जैनुल बशर भी इस सीट से तीसरी बार जीत दर्ज नहीं कर सके थे।

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