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मीना कुमारी की 85वीं जयंती, ट्रेजेडी क्वीन का जिंदगीनामा

फिल्म जगत की मशहूर अदाकारा मीना कुमारी की आज 85वीं जयंती है। दुनिया भले ही उन्हें मीना कुमारी के नाम से जानती है, लेकिन इस मशहूर अदाकारा का असली नाम महजबीन बेगम था। मीना कुमारी का जन्म 1 अगस्त 1932 को मुंबई के दादर में हुआ था। अपने 30 साल के फिल्मी करियर में मीना कुमारी ने 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। मीना कुमारी की जिंदगी बचपन से लेकर मृत्यु तक संघर्षों से भरी रही। मीना कुमारी अपने माता-पिता की तीसरी बेटी थीं। कहा जाता है कि मीना कुमारी के जन्म के वक्त उनके पिता के पास डॉक्टर की फीस चुकाने के लिए भी पैसे नहीं थे। इसलिए माता-पिता ने फैसला किया की बच्ची को किसी मुस्लिम अनाथालय के बाहर छोड़ दिया जाए, उन्होंने ऐसा किया भी, लेकिन बाद में मन नहीं माना तो मासूम बच्ची को कुछ ही घंटे बाद फिर से उठा लिया। कहा तो ये भी जाता है कि मीना कुमारी स्कूल जाना चाहती थीं, लेकिन महज 4 साल की उम्र में स्कूल भेजने के बजाए मां-बाप ने उन्हें फिल्मी दुनिया में भेज दिया। मजहबीन बेगम जो जवानी की दहलीज तक पहुंचते-पहुंचते मीना कुमारी बन चुकी थीं कि जवानी पति कमाल अमरोही ने बर्बाद कर दी। पति ने उनकी जवानी लूट कर उन्हें तलाक की चौखट पर फेंक दिया। कमाल अमरोही जहां पहले से शादीशुदा थे, वहीं मीना कुमारी से 15 साल बड़े भी थे। जिस एक्टर धर्मेंद्र ने उन्हें सिने जगत की बुलंदी की सीढ़ी पर चढ़ाया, उसी धर्मेंद्र ने प्रसिद्धि हासिल कर मीना कुमारी को ताने सुनने के लिए अकेला छोड़ दिया। लोगों के दिलों में राज करने वाली ये मशहूर अदाकारा खुद प्यार और बच्चे की चाह में कभी भारत भूषण की बांहों में और कभी प्रदीप कुमार जैसे एक्टर के कंधों का सहारा ढूंढती रही। बेजोड़ अभिनेत्री, प्रसिद्ध अदाकारा मीना कुमारी शोहरत की बुलंदी पाकर भी अधूरी रहीं।
मीना कुमारी की पहली फिल्म ‘फरजंद-ए-वतन’ नाम से 1939 में रिलीज हुई। 1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘बैजू बावरा’ से मीना कुमारी को पहचान मिली और फिर मीना कुमारी ने फिल्मी सफर में कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस फिल्म के बाद 1953 में ‘परिणीता’, 1955 में ‘आजाद’, 1956 में ‘एक ही रास्ता’, 1957 में ‘मिस मैरी’, 1957 में ‘शारदा’, 1960 में ‘कोहिनूर’ और 1960 में ‘दिल अपना और प्रीत पराई’ से एक अलग पहचान बना ली। 1962 में रिलीज हुई फिल्म ‘साहेब बीवी और गुलाम’ में छोटी बहू की भूमिका के लिए उनके काम को खूब सराहा गया। इस साल उन्होंने इतिहास रचा और फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड के लिए तीनों नॉमिनेशन (फिल्म ‘आरती’, ‘मैं चुप रहूंगी’ और ‘साहेब बीवी और गुलाम’) मीना कुमारी के ही थे। छोटी बहू की भूमिका के लिए उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस चुना गया।
मीना कुमारी के पूर्व पति कमाल अमरोही की फिल्म ‘पाकीजा’ को बनकर रिलीज होने में 14 साल का लंबा वक्त लग गया। पहली बार फिल्म के बारे में 1958 में प्लानिंग की गई और 1964 में फिल्म का काम भी शुरू हो गया, लेकिन 1964 में ही दोनों के तलाक की वजह से आधी से ज्यादा बन चुकी फिल्म रुक कई। 1969 में सुनील दत्त और नर्गिस ने फिल्म के कुछ दृश्य देखे और उन्होंने कमाल अमरोही और मीना कुमारी को फिल्म पूरा करने के लिए मनाया।
मीना कुमारी की फिल्मों को क्लासिक की श्रेणी में रखा जाता है और कई फिल्मों को तो आज भी उनके प्रशंसक श्रद्धाभाव से देखते हैं। मीना कुमारी को दुखियारी महिला के किरदार काफी करने को मिले, उन्हें फिल्मों में रोते हुए देखकर उनके प्रशंसकों की आंखों में भी आंसू निकल आते थे। शायद यही वजह है कि मीना कुमारी को हिन्दी सिनेमा जगत की ‘ट्रेजडी क्वीन’ के नाम से भी जाना जाता है। महज 39-40 साल की उम्र में 31 मार्च, 1972 को महान कलाकार मीना कुमारी सिने उद्योग को अपनी यादें देकर सदा-सदा के लिए जुदा हो गईं।

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