उत्तराखंड में कोरोना वायरस से दहशत, देश में 28 मामले आए सामने, जानें जानलेवा बीमारी से बचने के उपाय
चीन में कोहराम मचाने के बाद दुनिया के कई देशों को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में अब तक कोरोनाव वायरस के 28 मामले सामने आ चुके हैं। इन में वो 15 सैलानी भी शामिल हैं, जो इटली से लौटे थे। सभी का इलाज जारी है। कोरोना वायरस से खतरे को देखते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क। प्रदेश भर में इसे लेकर सावधानी बरती जा रही है।
कोरोना वायरस को लेकर अल्मोड़ा जिला प्रशासन भी सर्तक है। जानलेवा बीमारी के खतरे को देखते हुए जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने बुधवार को जिला अस्पताल में बने आईसोलेशन वार्ड का निरीक्षण कर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर एतिहातन तौर पर जिला अस्पताल, बेस अस्पताल और नागरिक चिकित्सालय रानीखेत में आईशोलेशन वार्ड बनाए गए हैं।
जिला अधिकारी ने कहा कि होली के मद्देनजर लोगों का आवागमन ज्यादा रहेगा। ऐसे में सर्तकता बरतने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से सम्बन्धित लक्षण अगर किसी भी व्यक्ति में पाए जाते हैं, तो उसे प्राथमिकता के आधार पर ऐसे वार्डों में रखा जाए।
जिलाधिकारी ने कहा कि जल्दी ही एक कन्ट्रोल रूम स्थापित कर नोडल अधिकारियों की तैनाती की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से अनावश्यक भय की जरूरत नहीं है। सावधानी और सर्तकता से ही इससे बचा जा सकता है। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सविता हयांकी ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति पिछले महीने चीन या अन्य देशों से भ्रमण कर आया हो और संक्रमित रोगी के सम्पर्क में आया हो तो लक्षण होने पर स्वास्थ्य केन्द्र में अवश्य सम्पर्क करें।
कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं?
कोरोना वायरस एक विषाणुजनित रोग है। जो चीन में काफी फैला हुआ है। धीरे-धीरे ये वायरस दूसरे देशों में भी तेजी से फैल रहा है। बुखार खांसी-जुकाम, गले में खराश होना इस वायस के लक्षण हैं। हालत ज्यादा गंभीर होने पर इंसान को सांस लेने में तकलीफ और न्यूमोनिया होने लगता है।
कैसे करें बचाव?
कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, सावधानी और सतर्कता से बचाव आसान है। कोरोना वायरस के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन फिलहाल नहीं है। सिर्फ लक्षण और डॉक्टरों की सलाह से इसका इलाज किया जाता है।
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)