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उत्तराखंड की ‘मशरूम गर्ल’ दिव्या रावत, जिन्होंने चमकाई पहाड़-पहाड़ियों की किस्मत, बताया क्या है उनकी कामयाबी का राज़

‘मशरूम गर्ल’ से मशहूर पहाड़ी की बेटी दिव्या रावत का आज उत्तराखंड समेत पूरे देश में डंका बज रहा है। उत्तराखंड की बेटी से आज पहाड़ समेत पूरा देश मशरूम की खेती का तरीका सीख रहा है।

दिव्या रावत ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में अपनी और खुद से जुड़े पहाड़ और पहाड़ियों की कामयाबी का राज़ बताया। उन्होंने ये भी बताया कि आखिर कौन सी वो बात थी, जिसने उन्हें शहर छोड़ने और दोबारा पहाड़ और अपने गांव में जाकर बसने पर मजबूर किया। उन्होंने बताया कि वो दिल्ली में थीं। उस दौरान उन्होंने देखा कि दिल्ली में बड़ी संख्या में पहाड़ी लोग महज 4 से 5 हजार रुपये की नौकरी के लिए गांव छोड़कर रह रहे हैं। दिव्या ने बताया कि ये लोग गांव छोड़कर शहर में इसलिए आए थे कि उनकी जिंदगी बेहतर होगी। लेकिन हकीकत ये थी शहर में उनकी जिंदगी और खराब हो गई थी। दिव्या रावत ने कहा कि शहर में पहाड़ियों की जिंदगी देखकर लगा कि उन्हें अपने गांव लौट जाना चाहिए और पहाड़ से पलायन रोकने के लिए कुछ करना चाहिए।

दिव्या रावत ने बताया कि वे 6 साल पहले शहर की अच्छी खासी नौकरी छोड़कर चमोली गढ़वाल जिले में अपने गांव लौट गईं। उन्होंने बताया कि जब वो अपने गांव पहुंचीं तो उन्होंने सोचा कि पहाड़ से पलायन रोकने के लिए उन्हें कोई बड़ा कदम उठना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पहाड़ से पलायन रोकने के लिए मैंने खेती को पहला जरिए बनाया। उन्होंने बताया कि खेती जीने का एक जरिए है, इसलिए मैंने खेती को चुना।

दिव्या रावत ने बताया कि मशरूम की खेती शुरू करने से पहले उन्होंने सर्वे की किया, जांच पड़ताल की कि आखिर वो कौन सी खेती सबसे फायदेमंद होगी, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिल सके। उन्होंने बताया कि सर्वे के बाद उन्होंने मशरूम की खेती को लोगों के लिए बेहतर समझा। उन्होंने बताया कि अगर आप आलू की खेती करते हैं तो आपको उसका दाम 8 से 10 रुपये मिलता है। लेकिन जब आप मशरूम की खेती करते हैं तो आपको उसका कम से कम 100 रुपये प्रति किलो दाम मिलता है। दिव्या ने बताया कि पहाड़ से पलायन रोकने के लिए उन्होंने इस बात का फैसाल किया कि वो मशरूम की खेती के बारे में लोगों को जागरूक करेंगी। उन्हें सिखाएंगी कि आखिर कैसे मशरूम की खेती कर अपने गांव में शहरों से सौ गुना बेहतर जिंदगी वो जी सकते हैं।

दिव्या बताती हैं कि पहाड़ से पलायन रोकने का उन्होंने हल तो निकाल लिया था, लेकिन मुश्किलें कम नहीं हुई थीं। उन्होंने बताया कि जब वो लोगों के बीच गईं और मशरूम की खेती के बारे में बताया तो लोगों ने कहा कि आप खुद क्यों नहीं कर लेती हैं। इस तरह के जवाब मिलने के बाद दिव्या ने कहा कि उन्होंने खुद मशरूम की खेती करने का फैसला किया। दिव्या कहती हैं कि पहले उन्होंने इसकी ट्रेनिंग ली इसके बाद उन्होंने मशरूम की खेती की शुरूआत की। साथ ही खुद की कंपनी भी खोली और व्यापार शुरू किया। कुछ ही महीनों में दिव्या ने पहाड़ में मशरूम की खेती को सबसे बेहतर विकल्प के रूप में लोगों के सामने पेश किया।

दिव्या बताया कि वो खुद पहाड़ के लोगों के सामने एक मिसाल बन चुकी थीं। ऐसे में जब वो दोबारा लोगों के पास गईं तो लोगों ने उनकी बातों को गौर से सुना और उनके साथ जुड़ने लगे। दिव्या ने बताया कि उन्होंने पहाड़ के लोगों को बताया कि मशरूम की खेती काफी फायदे का सौदा है। कुछ ही महीनों में लोगों को ये बात समझ में आ गई। उन्होंने बताया कि आज के समय में उनके साथ 7 हजार से ज्यादा लोग मशरूम की खेती से जुड़े हुए हैं। इनमें सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं दूसरे राज्यों के लोग भी शामिल हैं।

मशरूम गर्ल’ कहती हैं कि हम लोगों को रोजगार नहीं देते बल्कि उन्हें इश काबिल बनाते हैं कि वो खुद मशरूम की खेती कर सकें और पहाड़ में अपने गांव और घर में शहर से बेहतर जिंदगी जी सकें। उन्होंने बताया कि आज उनकी दो कंपनियां हैं। इसके साथ ही उन्हें राज्य सरकार ने ब्रांड एम्बेसडर बना रखा है। ऐसे में वो उत्तराखंड के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में पूर राज्य में मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रही हैं। और लोगों को खेती को लेकर जागरूक कर रही हैं।

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