उत्तराखंड: केदारनाथ मंदिर के पीछे पहाड़ियों पर फिर हुआ एवलांच, दहशत में श्रद्धालु
उत्तराखंड के केदारनाथ में एक बार फिर एवलांच की घटना ने लोगों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
चारधाम यात्रा के दौरान एसी घटना होने से लोग डरे हुए हैं। इस बार भी मंदिर के पीछे की पहाड़ियों पर एवलांच हुआ। एवलांच धाम से करीब तीन से चार किमी दूरी पर हुआ है। गनीमत यह है कि इस घटना में कोई नुकसान नहीं हुआ है। पिछले यात्रा सीजन के दौरान भी इन बफीर्ली पहाड़ियों पर तीन बार एवलांच हुआ था। इस बार भी अप्रैल महीने में एवलांच की घटना हुई थी। केदारधाम में बार-बार एवलांच की घटना पर पर्यावरण के जानकारों ने चिंता जाहिर की है।
केदारनाथ धाम में इस बार शुरूआत से ही मौसम खराब है। धाम में लगातार बर्फबारी हो रही है। जबकि, निचले इलाकों बारिश ने चिंता बढ़ा दी है। बीती मई के महीने में पैदल यात्रा मार्ग पर जगह-जगह ग्लेशियर भी टूटे थे। इसके चलते यात्रा भी प्रभावित हुई थी। वहीं, अप्रैल महीने के बाद अब जून महीने के दूसरे हफ्ते में धाम में एवलांच आया है। केदारनाथ धाम से तीन से चार किमी दूर स्थित बफीर्ली पहाड़ियों पर आज सुबह एवलांच हुआ। यहां चोटियों से बर्फ पिघलकर बहने लगी। हालांकि, यह एवलांच केदारनाथ धाम से दूर हिमालयी पर्वतों में था। इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है। पिछले वर्ष की यात्रा के दौरान भी तीन बार इन्हीं पर्वतों पर एवलांच होने की घटनाएं सामने आई थी, जबकि इस बार अप्रैल माह में भी एवलांच देखने को मिला। उस दौरान भी कोई नुकसान नहीं हुआ था।
पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा केदारनाथ धाम आस्था का केन्द्र है। यह केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का बहुत बड़ा पार्ट है। यहां हेली कंपनियां अंधाधुंध उड़ाने भर रही हैं। एनजीटी के मानकों का कोई भी हेली कंपनी पालन नहीं कर रही है। लगातार शटल सेवाएं चल रही हैं, जबकि हर दिन सुबह के समय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर भी पुनर्निर्माण का सामान केदारनाथ धाम पहुंचा रहा है। यह हिमालय के लिए घातक है। हेलीकॉप्टर की गर्जना से ग्लेशियरों के चटकने के कई उदाहरण सामने आये हैं। हेली सेवाओं से जहां ग्लेशियरों के टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, वहीं वन्य जीवों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही पर्यावरण का स्वास्थ्य भी गड़बड़ा रहा है।