गाजीपुर में ‘चेतना‑प्रवाह’ कार्यक्रम: तुलसीदास और प्रेमचन्द जयंती पर सफल विचार‑काव्य गोष्ठी
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में ‘साहित्य चेतना समाज’ के तत्वावधान में ‘चेतना‑प्रवाह’ कार्यक्रम के तहत ‘नेहरू युवा केन्द्र, गाजीपुर’ के लेखाकार सुभाष चन्द्र के तुलसीसागर, प्रभातनगर स्थित आवास पर गोस्वामी तुलसीदास एवं मुंशी प्रेमचन्द की जयंती पर विचार गोष्ठी‑सह काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सांस्कृतिक आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ आयकर अधिवक्ता सीताराम गुप्त द्वारा की गई, जबकि संचालन प्रतिष्ठित नवगीतकार डॉ. अक्षय पाण्डेय ने किया।
कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण
दिलचस्प आरंभ: गोष्ठी की शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास और मुंशी प्रेमचन्द के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुई और महाकवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना ने श्रोताओं का मनमोहित किया।
मुख्य वक्ता: केन्द्रीय विद्यालय शिक्षक संघ, वाराणसी‑संभाग के महासचिव एवं केन्द्रीय विद्यालय, गाजीपुर के हिंदी प्रवक्ता नीरज राय ने गोस्वामी तुलसीदास व मुंशी प्रेमचन्द की साहित्यिक विशिष्टता और युगानुकूल योगदान पर गहन विचार साझा किया। उन्होंने कहा:
“तुलसीदास जी ने मुगलकाल की पीड़ा को राम भक्ति द्वारा दूर किया।”
“प्रेमचन्द स्वातंत्र्य के स्वप्नद्रष्टा थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं से पूर्व भूमि तैयार की।”
कवि‑काव्य प्रस्तुतियां एवं श्रोताओं की सराहना
कार्यक्रम में कई कवियों व गीतकारों ने सारगर्भित प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें विशेष रूप से:
- कन्हैया गुप्त ‘विचारक’ की कविता “राजनीति की खातिर भाई/देश को मत दो बदहाली” ने दर्शकों को झकझोर दिया।
- युवा शायर गोपाल गौरव ने अपनी ग़ज़ल “गौरव को कोई ऐसी दवा दे मेरे मालिक…” से खूब तालियाँ बटोरीं।
- डॉ. अक्षय पाण्डेय ने नवगीत “अच्छे दिन की सबसे बड़ी यही हैरानी…” की स्वरसंयुक्त प्रस्तुति दी।
- अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ की व्यंग्य-कविता ने उपस्थित जन को रोमांचित कर दिया।
- भोजपुरी एवं हिंदी गीतकार हरिशंकर पाण्डेय ने “हर घर क आज इहे हाल भइल बाटे…” गाकर खूब वाहवाही लूटी।
- वीर रस कवि दिनेशचन्द्र शर्मा और ग़ज़लकार गो कुमार नागेश की प्रस्तुतियों ने श्रोताओं में जोश भर दिया।
- महाकाव्यकार कामेश्वर द्विवेदी ने अपनी कविता “पावन तुलसीदल जैसे उस तुलसी का यश…” से सदा स्मरणीय क्षण बनाए।
(यूपी के गाजीपुप से न्यूज़ नुक्कड़ के लिए तनवीर खान की रिपोर्ट)