उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश: उसिया गांव के सैफ़ अली ख़ां ने ज़िले का नाम किया रोशन, MBBS की FMGE परीक्षा में हासिल की सफलता

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के उसिया गांव के उत्तर मोहल्ला स्थित डॉ. महबूब ख़ां के दरवाजे पर बृहस्पतिवार को अपरान्ह अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। उसिया गांव स्थित सुपरिचित शैक्षिक संस्थान ‘मदरसा राबिया बसरिया लिलबनात’ के निदेशक मुफ़्ती मोहसिन रज़ा ख़ां ज़ियाई शम्सी के संयोजकत्व में आयोजित अभिनंदन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप उसिया गांव के ग्राम प्रधान शम्स तबरेज़ ख़ान उर्फ़ पिंटू की उपस्थिति के साथ बीएसएफ के पूर्व कमान्डेन्ट हाजी मोहम्मद रफ़ी ख़ां ने अपनी अभिभावकीय आभा प्रदान की। उपस्थित अतिथियों, ग्रामीणों और परिजनों ने डॉ. सैफ़ अली ख़ां का माल्यार्पण कर अभिनंदन किया।

मुख्य अतिथि के रूप में शम्स तबरेज़ ख़ान उर्फ़ पिंटू ने अपने उद्बोधन में डॉ. सैफ़ अली ख़ां (Dr. Saif Ali Khan) को हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएं देते हुए कहा कि चिकित्सक की उपयोगिता समाज का आवश्यक अंग है। ग्राम प्रधान के रूप में मेरे कार्यकाल के मध्य अगर कोई आईएएस बन कर आता है या कोई डॉक्टर बन कर आता है, तो ऐसे में मेरे गांव के नंदन यानी डॉ. सैफ़ अली ख़ां की सफलता का अभिनंदन मेरे लिए गौरवान्वित करने वाला है, जो मेरे लिए और मेरे गांव के लिए गौरवबोध से भरने वाली उपलब्धि का क्षण है। ग्राम प्रधान शम्स तबरेज़ ख़ान ने कहा कि सफलता का यह सोपान जो आयाम ले रहा है, इन मेधावी बच्चों के श्रम का प्रतिफल है, इसलिए मैं इस मेधाविस्तार के प्रति शुक्रगुज़ार हूं कि इन्होंने ऐसी सफलता को हासिल करने में अपना समय और श्रम दिया है।

उसिया ग्राम प्रधान ने अपने मौलिक अभिमत में कहा कि डॉक्टरी एक ऐसा कार्य है, जो कभी रिटायर नहीं होती, जबकि आईएएस-आईपीएस रिटायर हो जाएंगे, सारे सरकारी नौकरी वाले रिटायर हो जाएंगे, मगर डॉक्टर को आख़िरी सांस तक रिटायर नहीं होना है। डॉक्टर कहीं भी सेवा दे, मगर जब अपने गांव लौटेगा, तो अपनी अनमोल सेवाएं अपने गांव को भी देगा। इस दौरान पत्रकारों के प्रश्नों के प्रतिउत्तर में उसिया जैसे अपने वृहद आबादी वाले गांव में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी सरकारी चिकित्सकीय सुविधाओं के न होने के चलते चिकित्सकीय बदहाली पर घोर चिंता व्यक्त की और इसके लिए अपने निरन्तर प्रयास को दुहराते रहने का प्रण किया।

बधाई उद्बोधन को विस्तार देते हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पूर्व कमान्डेन्ट और भारत के राष्ट्रपति से अपनी सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मानित और अलंकृत हाजी मोहम्मद रफ़ी ख़ां ने सफलता को प्रसन्नता का पूरक और कर्तव्यबोध की पुष्ट संज्ञा देते हुए कहा कि मैं अपने भतीजे की इस साफल्य सिद्धि के उपरांत अज़ीम ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करता हूं, तत्पश्चात मेधावी छात्र की मेहनत, मां-बाप के धैर्य और समर्पण, कुटुम्ब, ग्राम प्रधान सहित गणमान्य लोगों और ग्रामीणों के आशीर्वचन के प्रति हृदय से आभार और कृतज्ञता प्रकट करते हुए अपने पूर्वजों के हमराह चलने के प्रण के साकार के प्रति भी असीम आभार का प्रकटन किया।

तत्पश्चात स्वागत समारोह को वायरलेस रोड (दिलदार नगर बाज़ार) स्थित मॉडर्न लाइब्रेरी के प्रबंधक जावेद ख़ां तथा शिक्षक और लेखक तौसीफ़ गोया ने भी सम्बोधित किया।

मालूम हो कि उसिया गांव के मोहल्ला उत्तर अधवार निवासी सैफ़ अली ख़ां (Dr. Saif Ali Khan) ने मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया @ एमसीआई यानी भारतीय चिकित्सा परिषद् के निर्देशन में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड उर्फ़ नेशनल बोर्ड ऑफ़ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) द्वारा आयोजित अखिल भारतीय स्तर की ‘फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (एफएमजीई)’ परीक्षा में बड़ी सफलता प्राप्त की है। ग़ौरतलब है कि राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) द्वारा ली जाने वाली बेहद कठिन एफएमजीई परीक्षा में 44390 अभ्यर्थियों में से लगभग 70 प्रतिशत छात्र पास नहीं हो सके। 45550 पंजीकृत उम्मीदवारों में से 31236 पासिंग मार्क्स प्राप्त करने में असफल रहे, जबकि केवल 13149 (29.62%) एमबीबीएस की उपाधि प्राप्त अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हुए हैं। इसलिए इस लिहाज़ से भी तक़रीबन 50,000 की वृहद आबादी वाले जनपक्षधर गांव उसिया के सैफ़ अली ख़ां (Dr. Saif Ali Khan) की सफलता उल्लेखनीय और क़ाबिल-ए-तारीफ़ है।

एफएमजीई 2024 दिसंबर सत्र की परीक्षा 12 जनवरी 2025 को दो शिफ्ट में आयोजित की गई थी। एनबीईएमएस ने अंतिम आंसर शीट के आधार पर एफएमजीई 2024 का परिणाम तैयार किया और इसे 19 जनवरी, 2025 को जारी किया था। ध्यातव्य है कि नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) द्वारा आयोजित इस फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (एफएमजीई) विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स को भारत में एमबीबीएस की उपाधि धारक डॉक्टर के रूप में प्रैक्टिस करने की अनुमति देता है।

अपने वक्तव्य में डॉ. सैफ़ अली ख़ां (Dr. Saif Ali Khan) ने बताया कि पौत्र यानी पोते के रूप में मैंने अपने डॉक्टर पितामह डॉ. महबूब ख़ां मरहूम की दीक्षाभूमि से प्रेरित होकर और झारखंड पुलिस में उप-निरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) के पद पर सेवारत अपने पिता मोइनुद्दीन ख़ां के साथ साल 2006 में भारत के महामहिम राष्ट्रपति से सराहनीय सेवा के लिए सम्मानित अपने अग्रज पिता और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कमान्डेन्ट पद से सेवानिवृत्त हाजी मोहम्मद रफ़ी ख़ां के द्वारा संस्कार निरूपण की वीथिका पर चलते हुए चिकित्सा शिक्षा के इस उत्कृष्ट सोपान पर शैक्षिक संघर्ष किया और वस्तुतः विदेश से एमबीबीएस की उपाधि प्राप्त कर इस महत्वपूर्ण और जटिल एफएमजीई परीक्षा को क्वालिफाई करने में सफल हुआ। आप सभी के प्रति अपरिमित आभार कि आप सभी ने उपस्थित होकर मुझे अपनी हार्दिकता से लब्ध शाब्दिक प्रशस्तियों का अभिनंदन और आशीर्वाद भेंट किया।

अभिनंदन समारोह में उपस्थित अभीष्टजनों के प्रति आभार इंजीनियर अहसन रज़ा ख़ां अलीग़ ने व्यक्ति किया। शोऐब अली ख़ां अलीग़, फैज़ान ख़ां अलीग़, फ़राज़ जावेद ख़ां आदि ने अभिनंदन समारोह के संयोजन को भव्यता प्रदान की. अभिनंदन समारोह की अध्यक्षता पूर्व कमान्डेन्ट हाजी मोहम्मद रफ़ी ख़ां और संचालन शिक्षक व लेखक तौसीफ़ गोया ने किया।

(न्यूज़ नुक्कड़ के लिए गाजीपुर से इजहार खान की रिपोर्ट)

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