उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अजान को लेकर जिले के सांसद अफजाल अंसारी की याचिका पर बड़ा फैसला दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गाजीपुर के डीएम के आदेश को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने मस्जिदों से अजान की मंजूरी दे दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मस्जिदों में अजान से कोविड-19 की गाइडलाइन का कोई उल्लंघन नहीं होता है। हाईकोर्ट ने अजान को धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ बताया।

हालांकि लाउडस्पीकर से अजान की अनुमति नहीं दी गई है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ उन्हीं मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल हो सकता है, जिन्होंने इसकी लिखित अनुमति ले रखी हो। जिन मस्जिदों के पास अनुमति नहीं है, वह लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए आवेदन कर सकते हैं। लाउडस्पीकर की अनुमति वाली मस्जिदों में भी ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन करना होगा।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

  • अजान इस्लाम का अभिन्न अंग और मुसलमानों का मौलिक अधिकार है, इससे कोविड-19 के किसी गाइडलाइन का उल्लंघन नही होता।
  • अजान देने से रोकना संविधान के अनुच्छेद 25 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकार का हनन है।
  • जहां लाउडस्पीकर से अजान देने की अनुमति पहले से है वहां तय मानकों का पालन करते हुए अजान होगी।
  • नई लाउडस्पीकर परमिशन या रिन्यूअल की याचिका पर संबंधित अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण कानून और धारा 144 को ध्यान में रखते हुए फैसले ले सकेंगे।

गौरतलब है कि कोरोना लॉकडाउन को कारण बताते हुए गाजीपुर के डीएम ने मौखिक आदेश देकर मस्जिदों में माइक से अजान पर पाबंदी लगा दी थी। इसका पूरे जिले में विरोध हुआ था। कई बार स्थानीय लोगों ने डीएम से बात की, लेकिन उन्होंने कोई सुनवाई नहीं की। इसके बाद जिले के सांसद अफजाल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक चायिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई के बाद पांच मई को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, अब कोर्ट का आदेश आया है।

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