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पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर की मौत की खबर में कितनी सच्चाई है?, यहां पढ़िए

पुलवामा आतंकी हमले का मास्टरमाइंड और आतंक का सरगना मसूद अजहर मर चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर की इस्लामाबाद के अस्पताल में मौत हो चुकी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक 2 मार्च को ही आतंकी मसूद की मौत हो गई थी। खबर आने के बाद से ही ये न्यूज बहुत तेजी से सोशल मीडिया में फैल रही है। लोग एक दूसरे को खबर शेयर कर रहे हैं। कुछ घंटे में ही ट्विटर पर मसूद अजहर के मरने की खबर ट्रेंड करने लगी है। हालांकि अब तक किसी ने भी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना के मौत की खबर की पुष्टि नहीं की है। वहीं पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने खबरों का खंडन करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि वो अभी जिंदा है।

भारतीय पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने भी खबरों का खंडन किया है। सूत्रों के हवाले से उन्हें अपने ट्विटर  अकाउंट पर लिखा है कि दहशतगर्द मसूद अजहर अभी जिंदा है। उनके मुताबिक मसूद अजहर बीमार है और रोज उसका डायलिसिस हो रहा है।

कुछ और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड मसूद ISI की निगरानी में है। इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था की वो बीमार है। वहीं, रक्षा विशेषज्ञ मसूद अजहर के मारे जाने की खबर को पाकिस्तान की चाल मान रहे हैं। दरअसल जिस तरह से पुलवामा में हमले के बाद पूरी दुनिया ने पाकिस्तान पर मसूद अजहर पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाया है, ऐसें लगता है कि कहीं पाकिस्तान ने उसे बचाने के लिए उसके मारे जाने की खबर तो नहीं उड़ाई है।

कौन है मसूद अजहर?

मसूद अजहर का जन्म  पाकिस्तान के बहावलपुर में हुआ था। उसने कराची में जामिया उलूम उल इस्लामिया में पढ़ाई की और फिर हरकत-उल-अंसार से जुड़ गया। यहीं से उसके आतंकी बनने की शुरुआत हुई। मसूद अजहर 1994 के करीब श्रीनगर आ गया। उसे उसी साल फरवरी में गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया। आतंकियों ने मसूद अजहर को छुड़ाने की कोशिश में 1995 में कुछ विदेशी पर्यटकों को अगवा कर लिया। फिर पर्यटकों को छोड़ने के बदले आतंकी मसूद को रिहा करने की मांग की, लेकिन इस बीच एक पर्यटक आतंकियों के चंगुल से फरार होने में कामयाब हो गया। जिसके बाद आतंकियों ने सभी पर्यटकों की हत्या कर दी।

मसूद को छुड़ाने के लिए आतंकियों ने एक बार फिर 1999 में कोशिश की और इस बार वो कामयाब रहे। दिसंबर 1999 में काठमांडू एयरपोर्ट से इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, नई दिल्ली जाने वाली इंडियन फ्लाइट IC814 को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया और विमान को लेकर अफगानिस्तान के कंधार चले गए। विमान में 178 यात्री सवार थे। आतंकियों ने यात्रियों को छुड़ाने के बदले मसूद अजहर को रिहा करने की मांग की। मजबूरी में भारत सरकार को आतंकी मसूद को रिहा करना पड़ा। इसके बाद मसूद अजहर ने उसके बाद साल 2000 में जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया और वह लगातार कश्मीर में युवाओं को भड़काने और आजादी की बात करता रहा है।

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