महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अब भी बन सकती है सरकार, ये हैं विकल्प
महाराष्ट्र में दो दिनों तक चली जोड़-तोड़ की राजनीति के बाद भी किसी पार्टी की सरकार नहीं बन पाई है। सूबे में राष्ट्रपति शासन लग गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने महाराराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी।
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। जानकारों के मुताबिक राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी प्रदेश में सरकार बनाने का रास्ता बचा है, क्योंकि राष्ट्रपति शासन के जरिए विधानसभा को सिर्फ सस्पेंड रखा गया है। इसका मतलब यह हुआ कि जब भी कोई पार्टी बहुमत का दावा कर राज्यपाल को विधायकों के समर्थन की पूरी लिस्ट सौंपेगी तो उसके बाद उसको मौका दिया जा सकता है।
इस बीच बीजेपी नेता नारायण राणे का बयान आया है। उन्होंने कहा कि जिसको जहां जाना है जाए बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाएगी। राणे ने कहा कि पार्टी राज्यपाल के पास 145 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी लेकर जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस इस दिशा में काम कर रहे हैं। नारायण राणे ने एनसीपी और कांग्रेस पर शिवसेना को बेवकूफ बनाने का आरोप लगाया। वहीं देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में जल्द ही एक स्थायी सरकार बनेगी।
शाम में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान जब उनसे सवाल किया गया कि क्या बीजेपी के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन पूरी तरह से खत्म हो गया है तो उन्होंने कहा कि आप इतनी जल्दबाजी में क्यों हैं। ये राजनीति है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमने गठबंधन खत्म नहीं किया। बीजेपी ने हमसे नाता तोड़ा है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ आगे भी बातजीत जारी रखने के संकेत दिए हैं।
आपको बता दें कि शिवसेना ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है। इसको लेकर अदालत में एक याचिका दायर की है। अगर कोर्ट से भी शिवसेना को झटका लगता है फिर 6 महीने तक राष्ट्रपति शासन लगेगा। इसके बाद जब राष्ट्रपति शासन खत्म होगा तब राज्यपाल समीक्षा करेगा। उसके बाद पार्टियों को सरकार बनाने के लिए बुला सकता है। ऐसी हालत मेंं तब शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बना सकती है।
कांग्रेस और एनसीपी ने भी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि राष्ट्रपति शासन का इस तरह से लगाया जाना सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन है। शिवसेना को समर्थन देने में देरी पर अहमद पटेल ने कहा कि पहले हमने अपने सहयोगी एनसीपी से बात की उसके बाद ही शिवसेना से बात करने का फैसला हुआ।
कैसे बन सकती है सरकार?
एनसीपी और कांग्रेस शिवसेना को अपना समर्थन दे सकती है। शिवसेना दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और उसके पास 56 विधायक है। शिवसेना का दावा है कि 7 दूसरे विधायक भी उसके साथ हैं। एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायकों के समर्थन के बाद शिवसेना आराम से सरकार बना सकती है। दूसरा रास्ता ये है कि 105 विधायकों वाली बीजेपी 40 विधायकों का समर्थन हासिल कर ले और बहुमत के लिए जरूरी 145 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दे।