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योगी के सूबे में ‘महाहड़ताल’ से हाहाकार!

यूपी में नई पेंशन योजना का विरोध कर रहे लाखों कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। बुधवार से शुरू हुई इस महाहड़ताल के तहत 150 संगठनों के क़रीब 20 लाख कर्मचारी, शिक्षक और अधिकारी अगले एक हफ्ते तक हड़ताल पर रहेंगे।

अब हालत ये है कि कई सरकारी दफ्तरों पर ताले लटके हैं। रोडवेज़ की सेवाओं पर असर पड़ा है। स्कूलों तक हड़ताल की हनक दिखाई पड़ रही है और माना जा रहा है कि यूपी बोर्ड के एग्ज़ाम पर भी इसका असर पड़ सकता है। हड़ताली कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रहे हैं।

इससे पहले 4 फरवरी को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और कई कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मीटिंग हुईं थी, जो बेनतीजा रही थी। इससे योगी सरकार को हड़ताल का अंदेशा पहले ही हो गया था। इसी वजह से सरकार ने पहले ही ESMA यानी एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट लागू कर दिया। जिसका मतलब था कि प्रदेश में 6 महीने तक हर हड़ताल गैरकानूनी होगी, लेकिन इस सख्ती के बावजूद कर्मचारी हड़ताल पर चले गए।

कर्मचारियों का क्या है मांग?
सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने की मांग लेकर हड़ताल पर हैं। राज्य कर्मचारी साल 2004 में लागू की गई नई पेंशन स्कीम के खिलाफ हैं। कर्मचारियों के मुताबिक नई पेंशन स्कीम के मुकाबले पुरानी पेंशन स्कीम ज्यादा फायदेमंद थी। पुरानी स्कीम में रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी थी। जबकि नई पेंशन स्कीम के तहत कितनी पेंशन राशि मिलेगी ये तय नहीं है।

गुरुवार को हड़ताल का दूसरा दिन है। दूसरे दिन ही हड़ताल की हालात खराब होने लगे हैं। कई जरूरी कामकामज ठप हो गए हैं। अब इन कर्मचारियों ने योगी सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 12 फरवरी तक चलने वाली इस हड़ताल से हालात और बिगड़ेंगे।

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