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इस वजह से सरकार ने JKLF पर लगाया बैन?

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानि JKLF को आतंक विरोधी कानून के तहत बैन कर दिया है। अलगाववादी नेता यासीन मलिक JKLF के प्रमुख हैं।

केंद्र का ये फैसला अलगाववादियों पर कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर आतंकी गतिविरधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है। गृह सचिव राजीव गाबा ने JKLF को बैन करने की जानकारी दी है। संगठन पर बैन करने की जानकारी देते हुए गाबा ने बताया कि JKLF के खिलाफ कई मामले में दर्ज हैं। इसमें इंडियन एयरफोर्स के चार ऑफिसर की हत्या, मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण समेत कई मामले शामिल हैं। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पुलवामा हमले के 8 दिन बाद 22 फरवरी को यासीन मलिक को गिरफ्तार किया था।

गृह सचिव ने अपने बयान में कहा कि यह संगठन आतंक को बढ़ावा देने के लए अवैध तरीसे से पैसे मुहैया कराता रहा है। संगठन चंदा इकट्ठा कर घाटी में अशांति फैलाने के लिए हुर्रियत के कार्यकर्ताओं और पत्थरबाजों के बीच धन मुहैय्या कराने में भी लिप्त रहा है। JKLF को इंटरनेशनल लेवल पर मान्यता मिली हुई थी और इसके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया तीन महीने से चल रही थी। बता दें कि इससे पहले केंद्र जमात-ए-इस्लामी पर भी बैन लगा चुकी है।

आपको बता दें कि इसी साल 26 फरवरी को टेरर फंडिंग के मामले में NIA ने घाटी में कई जगहों पर छापेमारी की थी, जिसमें यासीन मलिक, शब्बीर शाह, मीरवाइज उमर फारुक, मोहम्मद अशरफ खान, मसर्रत आलम, जफर अकबर भट्ट और सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम गिलानी का नाम शामिल हैं। इसी छापेमारी के बाद 28 फरवरी को केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार के निर्देश पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 22 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और सरकारी सुविधाएं वापस ले ली गई थी। साथ ही घाटी के 155 नेताओं को दी गई सुरक्षा में बदलाव किया था। इस सूची में भी यासीन मलिक का नाम शामिल था।

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