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आपके कंप्यूटर पर सरकार की नजर!, विपक्ष ने उठाए सवाल

गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक 10 केंद्रीय एजेंसया अब आपके कंप्यूटर की निगरानी रख सकेंगी। सरकार के इस फैसले का कई विपक्षी दलों ने विरोध किया है।

अब आपके कंप्यूटर की निगरानी देश की 10 केंद्रीय एजेंसियां करेंगी। गृह मंत्रालय ने अप्रत्याशित कदम उठाते हुए इन एजेंसियों को देश में चल रहे किसी भी कंप्यूटर में सेंधवारी कर जासूसी करने की इजाजत दे दी है। होम मिनिस्ट्री के आदेश के मुताबिक ये एजेंसियां किसी भी शख्स के पर्सनल कंप्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किए गए किसी भी दस्तावेज को देख सकती हैं।

सरकार के इस आदेश के बाद सियासी बवाल मच गया है। कई विपक्षी दलों ने गृह मंत्रालय के आदेश पर आपत्ति जताई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि ”घर-घर मोदी का वादा पूरा कर रही है।”

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्वीट किया ”मई 2014 से भारत अघोषित इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा है। नागरिकों के कंप्यूटर पर निगरानी के फैसले से मोदी सरकार ने सारी हदें पार कर दी हैं। क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में अधिकारों का ऐसे हनन होगा।”

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने भी इस फैसले को लेकर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट किया ”इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की अनुमति देने का सरकार का आदेश नागरिक स्वतंत्रता एवं लोगों की निजी स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।”

आपको बता दें कि जिन एजेंसियों को दस्तावेज देखने की इजाजत मिली है उनमें इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली के कमिश्नर ऑफ पुलिस शामिल है।

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