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उत्तर भारतियों के लिए राज ठाकरे के बदले सुर की वजह क्या है?

एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे ने हिंदी भाषा की तारीफ की है। राज ठाकरे ने कहा ”सच कड़वा होता है, लेकिन सही होता है। हिंदी अच्छी भाषा है, लेकिन राष्ट्रभाषा नहीं है।

उत्तर भारतीयों के विरोध की राजनीति करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राठकरे के सुर बदल गए हैं। कभी मुंबई में यूपी और बिहार के लोगों के काम करने विरोध करने वाले एमएनएस अध्यक्ष अब सबके सम्मान की बात कर रहे हैं। शनिवार को राज ठाकरे मुंबई में उत्तर भारतीय महापंचायत में पहुंचे। यहां उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत मेरी भाईयों और बहनों से की। इसके बाद उन्होंने हिंदी भाषा को अच्छा बताया। राज ठाकरे ने कहा ”सच कड़वा होता है, लेकिन सही होता है। हिंदी अच्छी भाषा है, लेकिन राष्ट्रभाषा नहीं है। क्योंकि राष्ट्रभाषा का निर्माण कभी हुआ ही नहीं। जैसे हिंदी भाषा है, वैसे तमिल, मराठी, गुजराती भाषा है।”

पंचायत में लोगोें को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि हमें देश के संविधान को समझना चाहिए। जब भी आप दूसरे प्रदेश में जाते हैं तो सबसे पहले पुलिस थाने में जाकर नौकरी के लिए सर्टिफिकेट लेना होता है। उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र में ज्यादा नौकरियां हैं तो उस पर पहला हक मराठियों का है उसके बाद किसी और प्रदेश के लोगों का है। वैसे ही जब यूपी और बिहार में नौकरियां हैं तो पहला हक वहां के लोगों का है।

मुंबई मेंं मराठी भाषा बोलने पर जोर देने ठाकने ने सफाई देते हुए कहा कि आप जहां जाते हैं तो आपको वहां की भाषा सीखनी चाहिए। आप विदेश जाते हैं तो आप हिंदी में बात नहीं करते। ठाकरे ने कहा ”असम में बिहार एक शख्स की हत्या की गई। वहां आंदोलन हुआ। गुजरात से यूपी और बिहार के लोगों को भगाया गया, लेकिन मीडिया को यह नहीं दिखाई दिया।

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