उत्तराखंड: चंपावत में टीबी मरीजों का आंकड़ा क्यों छिपा रहे प्राइवेट प्रैक्टिशनर?
देशभर में फैले कोरोना महामारी की वजह से दूसरी बीमारियों पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया जा पा रहा है।
महामारी के शोर में टीबी का शोर भी दब गया है। उत्तराखंड के चंपावत जिले में मिले 546 टीबी मरीजों के सापेक्ष अभी तक सिर्फ 114 टीबी मरीज ही मिले हैं। इस लिहाज से चंपावत प्रदेश में 12वें नंबर पर है। इसका मुख्य वजह है जिले में प्राइवेट प्रैक्टिशनर स्वास्थ्य विभाग को सहयोग नहीं कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि वो गुपचुप तरीके से टीबी मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनका डाटा स्वास्थ्य विभाग को अपडेट नहीं कर रहे हैं। जबकि पोर्टल में उनकी आइडी भी जनरेट हो चुकी है।
जिले में टीबी क्लीनिक के साथ पांच बलगम जांच केंद्र बनाए गए हैं। इस साल स्वास्थ्य विभाग को 546 नए टीबी मरीजों की खोज का लक्ष्य दिया गया था। जनवरी से शुरू हुई इस प्रक्रिया में स्वास्थ्य विभाग के साथ प्राइवेट प्रैक्टिशनर का भी उदासीन रवैया नजर आ रहा है। यही वजह है कि लक्ष्य प्राप्ति के सात माह बीतने के बाद सिर्फ 124 मरीजों की पहचान हो सकी। जबकि स्वास्थ्य विभाग इन मरीजों को दवा खाने और खिलाने तक का पैसा मरीज को दिया जाता है।
पिछले महीने हुई समीक्षा बैठक में डीएम सुरेंद्र नारायण पांडेय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए लक्ष्य को तेजी से प्राप्त करने के आदेश दिए हैं। इस पहल में स्वास्थ्य विभाग ने कुछ तेजी तो पकड़ी लेकिन प्राइवेट प्रैक्टिशनर इसमें सहयोग नहीं कर रहे हैं।