प्रियंका गांधी नहीं कांग्रेस का ये उम्मीदवार वाराणसी से पीएम मोदी को देगा चुनौती
प्रियंका गांधी के वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है। प्रियंका गांधी नहीं बल्कि अजय राय काशी से पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे।
पार्टी ने गुरुवार को अजय राय के नाम का ऐलान कर दिय है। अजय राय 2014 में भी वाराणसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे। हालांकि वो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे। अब एक बार फिर कांग्रेस ने उन्हीं पर भरोसा जताया है।
Ajay Rai to be the Congress candidate from Varanasi #LokSabhaElections2019 pic.twitter.com/SfF0bOtyRH
— ANI (@ANI) April 25, 2019
अजय राय वाराणसी सीट से विधायक रह चुके हैं। अजय राय ने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1996 में की थी। उन्होंने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत बीजेपी प्रत्याशी के रूप में की थी। उत्तर प्रदेश की एक विधानसभा सीट अजय राय ने चनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। इसके बाद अजय समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और एसपी की सीट पर ही लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। 2014 में वो कांग्रेस में शामिल हुए और कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा। इस बार भी अजय राय की बुरी तरह से हार हुई। 2014 में अजय राय को सिर्फ 75 हजार वोट ही मिले थे। बनारस में दूसरे नंबर पर अरविंद केजरीवाल थे। जबकि पहले नंबर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे।
प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी दी है। जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही वो काफी एक्टिव हैं और पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों का दौरा कर कांग्रेस के लिए प्रचार कर रही हैं। इस दौरान प्रियंका गांधी वाराणसी भी गईं। तभी से ये अटकलें थीं कि प्रियंका वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में ताल ठोक सकती हैं। इतना ही नहीं प्रियंका ने खुद भी रायबरेली में लोगों से कहा था कि वाराणसी से लड़ जाऊं तो। अपने दौरे के दौरान उन्होंने कई बार ये कहा कि अगर पार्टी कहेगी तो वो जरूर चुनाव लड़ेंगी, लेकिन राहुल गांधी ने बुधवार को प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने पर पूर्ण विराम लगा दिया था।
आपको बता दें कि वाराणसी में सातवें चरण में वोटिंग हैं। जातीय समीकरण के हिसाब से देखें तो ब्राह्मण, वैश्य और कुर्मी मतदाता काफी निर्णायक भूमिका में हैं। यहां करीब तीन लाख वैश्य हैं। जबकि ढाई लाख कुर्मी और ढाई लाख ब्राह्मण हैं। वहीं तीन लाख मुस्लिम, 1 लाख 30 हजार भूमिहार, 1 लाख राजपूत हैं। इसके अलावा पौने दो लाख यादव, 80 हजार चौरसिया, एक लाख दलित और एक लाख के करीब अन्य ओबीसी मतदाता हैं।