उत्तराखंड स्पेशल: बर्फीले तूफान, हाड़ कंपाने वाली ठंड और सीमा पर डटे जवान
नॉर्मल ठंड में जब हम और आप या तो घरों में दुबके रहते हैं या फिर बहुत एहतियात के साथ बाहर निकलते हैं।
उससे कई गुना ज्यादा ठंड में जवान देश की रक्षा के लिएम सीमा पर तैनात हैं। चीन से टेंशन के बीच इस बार जवान मिलन और दारमा घाटी में इस मौसम में भी गश्त कर रहे हैं। चीन भारत सीमा विवाद के बाद पहली बार ITBP और सेना के जवान सर्दियों के मौसानम में भी 10,000 फीट से 16,500 फीट की ऊंचाई पर तैनात है। मिलन, दारमा और व्यास घाटी में 5-6 फीट बर्फ के बीच भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के जवान हर दिन चीन सीमा पर गश्त कर रहे हैं। विषम भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाले इन जवानों को विशेष तरह की ट्रेनिंग दी जाती है। ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में कड़कड़ाती ठंड के बीच जवानों को भारी बर्फबारी, एवलांच और ऑक्सीजन की कमी का भी सामना करना पड़ता है।
चीन सीमा से लगे मिलम, दारमा और व्यास घाटी में भारी बर्फबारी और कड़कड़ाती ठंड के बीच भारतीय सेना के जवान चप्पे-चप्पे पर नजर बनाये हुए हैं। भारत-चीन युद्ध के बाद ये पहला मौका है, जब इस कड़ाके की ठंड में भी चीनी बॉर्डर पर भारी सुरक्षा बल तैनात हैं। हाल ये है कि इस वक्त रेलकोट चौकी में अधिकतम तापमान माइनस 4 डिग्री, बुगडियार में माइनस 6 डिग्री, दुंग में माइनस 10 डिग्री और दावे में माइनस 12 डिग्री है। इन चौकियों में जवानों को बर्फ में जमा पानी पिघलाकर पीना पड़ रहा है। जवानों के लिए गर्म कपड़े और रसद सामग्री हेलीकॉप्टर से पहुंचाई जा रही है।