मोदी सरकार के इस कदम से लोकसभा चुनाव से पहले बनेगा राम मंदिर?
मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अयोध्या में हिंदू पक्षकारों को जो हिस्सा दिया गया है, वह रामजन्मभूमि न्यास को दे दिया जाए।
2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार ने बहुत बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें विवादित ज़मीन के अलावा अधिग्रहित की गई अतिरिक्त ज़मीन राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने की अपील की गयी है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अयोध्या में हिंदू पक्षकारों को जो हिस्सा दिया गया है, वह रामजन्मभूमि न्यास को दे दिया जाए। जबकि 2.77 एकड़ भूमि का कुछ हिस्सा भारत सरकार को लौटा दिया जाए।
Centre moves Supreme Court seeking permission for release of excess vacant land acquired around Ayodhya disputed site and be handed over to Ramjanambhoomi Nyas. Centre seeks direction to release 67 acres acquired land out of which 0.313 acres is disputed land. pic.twitter.com/1rAho51bUJ
— ANI (@ANI) January 29, 2019
अयोध्या में रामजन्म भूमि-राम मंदिर के आस-पास कुल 67 एकड़ जमीन है। इसमें से 2.77 एकड़ की जमीन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। 0.313 एकड़ जमीन पर विवाद है। मोदी सरकार ने कोर्ट से मांग की है कि जिस जमीन पर विवाद है उसे छोड़कर बाकी की जमीन सरकार को वापस कर दी जाए।
राम मंदिर के मुद्दे पर केंद्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले से सुब्रमण्यम स्वामी खुश हैं। स्वामी ने कहा कि अयोध्या में मंदिर बनाने का आधा काम अब हो गया है। स्वामी ने आगे कहा कि सरकार चाहे तो अब गैर विवादित जमीन पर मंदिर का निर्माण काम शुरू कर सकती है।
There is already a Ram Mandir standing on the RJB but it is in a tent. Till Title Suit is decided we will build all other parts of the temple is built. Then thereafter we will construct the sanctum sanctorum
— Subramanian Swamy (@Swamy39) January 29, 2019
आपको बता दें कि अयोध्या विवाद पर 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन वह टल गई है। केस की सुनवाई पांच जजों की पीठ कर रही है। जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं।