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अयोध्या: VHP-शिवसेना की थी चुनावी दहाड़? राम मंदिर पर फैसले के लिए कीजिए 5 राज्यों के रिजल्ट का इंतजार!

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने रविवार को धर्मसभा का आयोजन किया। धर्मसभा में वीएचपी ने कहा कि वो राम मंदिर के सिवाय किसी और चीज के लिए एक इंच भी जमीन नहीं देंगे।

धर्मसभा में वीएचपी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड से इलाहबाद हाई कोर्ट के आदेश के तहत विवादास्पद जमीन के बंटवारे को लेकर दर्ज मामले को वापस लेने की मांग की। दक्षिणपंथी संगठन के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने यहां अयोध्या में जमा बड़ी संख्या में एकत्रित समर्थकों से यह बात कही। उन्होंने 75,000 लोगों के समक्ष कहा, “हमें जमीन का बंटवारा स्वीकार नहीं है और हम भगवान राम के लिए पूरी जमीन चाहते हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि हिदू विवादास्पद जमीन के किसी भी टुकड़े पर ‘नमाज’ पढ़ने देगा। राय ने चेतावनी देते हुए कहा कि किसी को भी हिंदू समुदाय के धर्य का परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वे लोग बीते 490 सालों से इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं। वीएचपी नेता ने कहा, “कुछ बुद्धिमान लोग सोचते हैं कि पूरा मामला 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद शुरू हुआ वो अज्ञानी हैं। मामला 490 वर्ष पुराना है।”

राय ने कहा कि राममंदिर के निर्माण के लिए यह इस तरह की अंतिम सभा है और संगठन अब अगला कदम अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए उठाएगा। उन्होंने कहा कि 25 साल के अंतराल के बाद धर्म सभा इसलिए बुलाई गई, क्योंकि कुछ बुद्धिजीवी सोचते हैं कि 6 दिसंबर, 1992 के बाद इस मामले में पर्दा गिर गया। लेकिन, आग बुझी नहीं है। यह हमारे दिलों में धधक रही है।

उन्होंने मुस्लिम पक्षकारों से सर्वोच्च न्यायालय से मामले को वापस लेने की मांग की ताकि राम मंदिर के जल्द निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सके। संत स्वामी भद्राचार्य ने कहा कि राम मंदिर के संबंध में संत समुदाय के भविष्य योजनाओं की घोषणा 11 दिसंबर के बाद की जाएगी।

संत स्वामी भद्राचार्य के इस बयान से ये साफ हो गया कि 11 दिसंबर को आने वाले 5 राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद ही राम मंदिर निर्माण की रणनीति पर बीजेपी और संतों की सोच जनता के सामने आ पाएगी। अभी 4 राज्यों में विधानसभा के लिए मतदान होना बाकी है। जाहिर है बीजेपी के किसी भी कदम से उसे चुनाव में नुकसान हो सकता है। ऐसे में जो लोग यह सोच रहे हैं कि राम मंदिर चुनावी मुद्दा नहीं है, वो वीएचपी की धर्मसभा से खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं।

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