महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कब, कहां, कैसे और क्यों फंस गया है पेंच?
महाराष्ट्र में सरकार बनाने का पेंच फंस गया है। सूबे की राजनीति में आज का दिन काफी अहम है। राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने एनसीपी को सरकार बनाने का न्यौता दिया है।
शरद पवार को आज रात 8 बजे तक ये साबित करना होगा कि उनके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी 145 विधायकों का समर्थन हैं। आज ही कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक है, जिसमें आगी की रणनीती पर चर्चा होगी। इससे पहले कल शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और विधायकों की समर्थन की चिट्ठी देने के लिए दो दिनों का वक्त मांगा था, लेकिन राज्यपाल ने वक्त देने से मना कर दिया। आपको बताते है कि मामला फंसा कैसे और कैसे शिवसेना सरकार बनाते-बनाते रह गई।
कहां और कैसे फंसा पेंच?
पेंच कहां और कैसे फंसा इसे समझने के लिए सबसे पहले आपको समझना होगा कि 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों से समर्थन की जरूरत होती है। किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। बीजेपी और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा और बहुमत साबिक करने का आंकड़ा भी हासिल किया। बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती, लेकिन शिवसेना बाद में 50-50 फॉर्मूले पर अड़ गई। उसके मुताबिक दोनों ही पार्टियों में चुनाव से पहले ये तह हुआ था कि ढाई-ढाई साल दोनों ही पार्टियों का मुख्यमंत्री होगा, जिससे बीजेपी मुकर रही है। वहीं बीजेपी का कहना है कि ऐसा कोई फॉर्मूला तय ही नहीं हुआ था।
तल्ख बयानबाजी और टूट गया रिश्ता?
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेतओं की तरफ से अलग-अलग बयान आते रहे। कोई भी समझौते को तैयार नहीं हुआ। जिसका नतीजा ये हुआ कि शिवसेना ने बीजेपी से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया। शिवसेना को उम्मीद थी कि वो एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना लेगी। शिवसेना को राज्यपाल से सरकार बनाने का न्योता मिला था, लेकिन तय वक्त पर शिवसेना जरूरी विधायकों की चिट्ठी लेकर राज्यपाल के सामने नहीं पहुंच सकी। लिहाजा शिवसेना को बैकफुट पर आना पड़ा वो भी तब जब शिवसेना की ओर से केंद्र में शामिल अरविंद सावंत ने इस्तीफा तक दे दिया।
सोमवार को क्या हुआ?
सोमवार शाम सूरज ढलने तक शिवसेना को उम्मीद थी कि सरकार उसकी बन जाएगी। जरूरी आंकड़ों की चिट्टी उसे मिल जाएगी, लेकिन इस बीच एक फोन कॉल ने शिवसेना के मंसूबे पर पानी फेर दिय। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोनिया गांधी ने एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से बात करने के लिए कॉल किया। दोनों नेताओं के बीच महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर बात हुई। बातों-बातों में सोनिया को पता चला कि एनसीपी ने भी शिवसेना को समर्थन की चिट्ठी नहीं दी है। शरद पवार की ओर से सोनिया को दी गई जानकारी ने कांग्रेस आलाकमान को सकते में डाल दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फोन कॉल के बाद कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। कांग्रेस ने बयान में कहा कि सरकार गठन पर चर्चा तो जरूर हुई, लेकिन अभी कुछ तय नहीं हुआ है और आगे भी सोनिया गांधी शरद पवार से बात करेंगी।
कांग्रेस-एनसीपी के इसी गुगली में शिवसेना फंस गई। इस बीच कांग्रेस का एक धड़ा भी शिवसेना को समर्थन देने के खिलाफ बयान देने लगा। इससे पहले दिल्ली में कांग्रेस की करीब चार घंटे लंबी बैठक चली। जिसका मजमून है ये है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने पूरे मामले पर शरद पवार से बात की है और आगे भी एनसीपी के साथ चर्चा करेगी।